logo

संसार तुम्हारी परछाईं

Hardbound
Hindi
9789357750042
1st
2023
148
If You are Pathak Manch Member ?

बेहद सादा दिली और ठहराव के साथ मन्द्र स्वर में संसार के कोलाहल और अन्तर्जगत के वीतराग को सामने रखती हुई विपिन चौधरी की ये कविताएँ मितकथन का दुर्लभ उदाहरण हैं जहाँ कवि ने बहुत सारे विवरणों में से चुनिन्दा, हार्दिक और सच्चे चित्रों को चुनकर एक ऐसा काव्य संसार रचा है जहाँ जितना ज़ाहिर है उससे कहीं ज़्यादा पंक्तियों और शब्दों के बीच के अन्तरालों में है जिसका अन्वेषण पाठक को करना है । है
ये कविताएँ एक चुप और गहरी उसाँस के भाषिक विन्यास की तरह हमारे बीच हैं और सीधे हृदय से संवाद करने की मुश्किल सलाहियत रखती हैं। साथ ही ये कविताएँ इकहरे अर्थों में न लिये जाने की माँग करती हैं और आत्मगत तो वे हैं ही नहीं। यह एक गाढ़े स्त्री स्वर की कविताएँ हैं और ऐसा होने में सभी स्त्रियों की ओर से एक साझा स्मृति, प्रेम और रचनात्मकता को संरक्षित रखने का यत्न करती-सी कविताएँ हैं ।
इन कविताओं में प्रेम बारम्बार लौटता है और कई बार इस लौटने में इतना बदल जाता है कि अपनी शक्ल खो बैठता है । एक संयत कवि स्वर प्रतीक्षा के त्रासद अन्त पर भी अपनी विकलता छुपा लेता है, अपने दुःख भी। विपिन की कविताएँ एक रचनात्मक सम्पादन और सेल्फ सेंसरशिप का सुन्दर सन्तुलन बनकर सामने आती हैं ।
- महेश वर्मा

विपिन चौधरी (Vipin Choudhary)

विपिन चौधरी प्रकाशित कृतियाँ : कविता संग्रह : अँधेरे के मध्य से (2008), एक बार फिर (2008), नीली आँखों में नक्षत्र (2017); कहानी संग्रह : बटौड़ा (2022); जीवनी : रोज़ उदित होती हूँ (अश्वेत लेखिका माया एंजेलो की जीवन

show more details..

मेरा आंकलन

रेटिंग जोड़ने/संपादित करने के लिए लॉग इन करें

आपको एक समीक्षा देने के लिए उत्पाद खरीदना होगा

सभी रेटिंग


अभी तक कोई रेटिंग नहीं

संबंधित पुस्तकें