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Kanupriya

Hardbound
Hindi
9788126350198
50th
2013
96
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₹180.00

कनुप्रिया - राधा-कृष्ण का प्रणय-प्रसंग और भारती की लेखनी। यह सुयोग ही इस बात का स्वयंसिद्ध प्रमाण है कि 'कनुप्रिया' का आविर्भाव साहित्य-लोक की एक विशिष्ट घटना है। 'कनुप्रिया' में पूर्वराग, मंजरी-परिणय और सृष्टि-संकल्प के अन्तर्गत जहाँ बहुमुखी प्रणय के विविध आयाम प्राणों की धारा में से प्रस्फुटित होकर प्रकृति के प्रतीकों में सार्थक तादात्म्य प्राप्त करते हैं, वहाँ इतिहास और समापन के अध्याय राधा के प्रणय को एक सर्वथा नयी दृष्टि और नया परिप्रेक्ष्य देते हैं। राधा आज उसी अशोक वृक्ष के नीचे उन्हीं मंजरियों से अपनी क्वाँरी माँग भरे खड़ी है इस प्रतीक्षा में कि जब महाभारत की अवसान-वेला में अपनी अठारह अक्षौहिणी सेना के विनाश के बाद निरीह, एकाकी और आकुल कृष्ण किसी भूले हुए आँचल की छाया में विश्राम पाने लौटेंगे तो वह उन्हें अपने वक्ष में शिशु-सा लपेट लेगी।

धर्मवीर भारती (Dharmveer Bharti)

धर्मवीर भारती जन्मः इलाहाबाद में 25 दिसम्बर, 1926 को। बचपन में पिता की मृत्यु हो जाने से किशोरावस्था से ही गहरा आर्थिक संघर्ष। 1945 में प्रयाग विश्वविद्यालय में हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर

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