दूब-धान - स्त्री मन के विविध पक्षों को सम्यक दृष्टि से देखती यह कविताएँ अपनी अनुभूति में अस्तित्व बोध के प्रश्नों को उठाती हैं। यह प्रश्न धीरे-धीरे कविता-दर-कविता एक इकाई से परिवर्तित होकर विराट सम्भावनाओं के रूप में सामने आ जाती हैं। अनामिका अपनी कविताओं में परम्परागत और आधुनिक रूढ़ियों में स्त्री के जीवन को सूक्ष्मता से टटोलने का प्रयास करती हैं। इस खोज में वे स्त्री जीवन की अन्तरंग और स्नेहिल व्याख्यायें भी करती हैं। इतना ही नहीं, वे अपनी कविताओं के माध्यम से स्त्री विमर्श के नये आयामों के लिए भी एक राह निर्मित करती हैं। भारतीय समाज के सन्दर्भ में दूब-धान की कविताएँ अस्मिताबोध का एक सुन्दर उदाहरण होने के साथ विशिष्ट भी हैं।
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