इतिहास-पुरुष - 'इतिहास-पुरुष' प्रख्यात दर्शनवेत्ता, कवि, समालोचक और चिन्तक डॉ. देवराज का लघु काव्य अपनी लघुता में भी विराट है। मनुष्य जीवन के पूर्वापर, उसके आगत-अनागत, वांछित-अवांछित, ज्ञेय-अज्ञेय को काव्य में ढालने का ऋषि-प्रयास है—'इतिहास-पुरुष'। आज का मानव ज्ञान-विज्ञान और प्रावधिकी में उन्नत होने के बावजूद सुखी-सन्तुष्ट और प्रसन्न नज़र नहीं आता। वह जीने की कला भूल चुका है। मनुष्य का मन अद्भुत अन्तर्विरोध से ग्रस्त है। 'इतिहास-पुरुष' इस द्वन्द्वबोध से ग्रस्त मनुष्य को मानवीय धरातल पर पूरे उत्साह से जीवन जीने की प्रेरणा देता है। देखा जाये तो इस कृति में गीता के निष्काम कर्म का सन्देश निहित है। कवि ने अमूर्त को रूपायित करके ब्रह्म को इतिहास-पुरुष के रूप में लोकमंगल और प्रगतिशील चेतना की भावमूर्ति प्रदान करके विश्व सौन्दर्य से मण्डित कर दिया है। इस लघु काव्य में डॉ. देवराज ने अपनी सर्जनात्मक मानववाद की परिकल्पना तथा भौतिकता और अध्यात्म के सम्यक् समन्वय का अनूठा दर्शन प्रस्तुत किया है। ऐसी महत्त्वपूर्ण कृति को नव परिवर्धन के साथ प्रकाशित कर पाठकों को सौंपते हुए भारतीय ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review