Jitna Tumhara Sach Hai

Paperback
Hindi
9789350007273
1st
2011
168
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हिन्दी-संस्कृति के अनन्य गौरव अज्ञय की जन्मशताब्दी के अवसर पर यह देखना प्रीतिकर है कि अपने कालजयी रचना-कर्म से इस कवि ने अपनी उपस्थिति को न सिर्फ शीर्षस्थानीय बनाया है बल्कि अपने शताब्दी वर्ष में भी उतने ही प्रासंगिक और विचारोत्तेजक बने हुए हैं। अज्ञेय हिन्दी में आधुनिकता, नयी कविता एवं प्रयोगवाद के स्थापितकर्त्ता रहे हैं। वे अकेले उन बिरले लोगों में रहे हैं, जिन्होंने नयी कविता एवं प्रयोगवाद की स्थापना तथा उसके अवगाहन में हिन्दी के तत्कालीन वर्तमान स्वरूप को एकबारगी बदल डाला है।

अज्ञेय के पहले कविता-संग्रह भग्नदूत 1933 से लेकर अन्तिम कविता-संग्रह ऐसा कोई घर आपने देखा है 1986 तक उनके अन्तश्चेतना के ढेरों सोपान तक उनके जीवन के तमाम सारे किरदारों को आपस में जुड़ते हुए जीवनानुभवों की आन्तरिक लय पर अन्तःसलिल देखा जा सकता है। उनकी कविताओं की पाँच दशकों में फैली लम्बी और महाकाव्यात्मक यात्रा में सांस्कृतिक अस्मिता का बोध, जातीय स्मृति की संरचना और समय तथा काल चिन्तन को उनकी स्वयं की विकास प्रक्रिया के रूप में भी देखा जा सकता है। यह अकारण नहीं है कि हिन्दी पुनर्जागरण काल के दौरान, छायावादी वृत्तियों को तोड़ते हुए नयी कविता व प्रयोगवाद की जमीन रचने वाला यह कवि परम्परा और वर्तमान के बीच एक विद्रोही की भाँति उपस्थित है।

अज्ञेय काव्य में वाक्यों की संक्षिप्ति, मौन की मुखर अभिव्यक्ति, जीवन और मूल्यों को लेकर शाश्वत से प्रश्न की जद्दोजहद, मृत्यु और मृत्यु से इतर समाज से संवाद, प्रकृति के लगभग सभी प्रत्ययों से बेहिचक आत्मीय संलाप, समाज में अध्यात्म की गुंजाइश पर बहस तथा समय के साथ न जाने कितने तरीकों से काल चिन्तन-यह सब एक कवि अज्ञेय के वैचारिकता के आँगन के विमर्शपरक विषय ही नहीं हैं बल्कि वह उनकी पूरी रचना यात्रा में पूरी ऊष्मा के साथ उद्भासित हो सके हैं। जितना तुम्हारा सच है में चयनित अज्ञेय की सी महत्त्वपूर्ण कविताओं के पुनर्पाठ से हम आसानी से यह लक्ष्य कर सकते हैं कि उन्होंने कई संस्कृतियों और उसके साहित्य के अवगाहन व मैत्री से खुद अपनी संस्कृति और उसके रूप, रंग को समझने की एक भारतीय दृष्टि हमें सौंपी है। यदि हम उन्हीं के शब्दों में अपना स्वर मिलाकर कहें, तो 'जितना तुम्हारा सच है' की यह सौ कविताएँ अज्ञेय की विचार सम्पदा के आँगन के इस पार कृतज्ञतापूर्वक पा लागन है।

यतीन्द्र मिश्र (Yatindra Mishra)

यतीन्द्र मिश्रहिन्दी के प्रतिष्ठित रचनाकार। भारतीय संगीत और सिनेमा विषयक पुस्तकें विशेष चर्चित । अब तक चार कविता-संग्रह समेत शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी पर 'गिरिजा', नृत्यांगना सोनल मानस

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सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Agyeya')

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (7 मार्च 1911-4 अप्रैल 1987) -मानव मुक्ति एवं स्वाधीन चिन्तन के अग्रणी कवि-कथाकार-आलोचक-सम्पादक ।कुशीनगर, देवरिया (उ.प्र.) में एक पुरातत्त्व उत्खनन शिविर में ज

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