तार सप्तक -
गजानन माधव मुक्तिबोध, नेमिचन्द्र जैन, भारतभूषण अग्रवाल, प्रभाकर माचवे, गिरिजाकुमार माथुर, रामविलास शर्मा और 'अज्ञेय'।
1943 में प्रकाशित 'तार सप्तक' का ऐतिहासिक महत्त्व इस मद में है कि इसी संकलन से हिन्दी काव्य-साहित्य में 'प्रयोगवाद' का आरम्भ होता है। आज भी अनेक काव्य प्रेमियों में इस संग्रह की कविताएँ आधुनिक हिन्दी कविता के उस रचनाशील दौर की स्मृतियाँ जगायेंगी जब भाषा और अनुभव दोनों में नये प्रयोग एक साथ कर सकना ही कवि-कर्म की सार्थक बनाता था। निस्सन्देह ये कविताएँ अपने में तृप्तिकर हैं—उनके लिए जिनके पास अब भी कविता पढ़ने का समय है। साथ ही, इस संग्रह की विचारोत्तेजक और विवादास्पद भूमिका को पढ़ना भी अपने में एक ताज़ा बौद्धिक अनुभव है। प्रस्तुत है 'तार सप्तक' का नया संस्करण।
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