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र.श.केलकर द्वारा सम्पादित पुस्तक - भारतीय कविताएँ: 1987-88 - प्रति वर्ष स्फुट रूप से स्थायी महत्त्व की कई रचनाएँ प्रकाशित होती हैं और सामान्य रचनाओं की भीड़ में खो जाती हैं। यदा-कदा चर्चित होती हैं, रेखांकित भी होती हैं, किन्तु एक स्थान पर सहेजी नहीं जातीं। अन्य भाषाओं की उपलब्धियों से साक्षात्कार तो दुर्लभ ही है, हम अपनी ही भाषा की सर्वोत्तम रचनाओं से अपरिचित रह जाते हैं। परिचय होता भी है तो बस क्षण मात्र के लिए। यों हम सभी न्यूनाधिक यह अनुभव और स्वीकार करते हैं कि भारतीय साहित्य विभिन्न भाषाओं में रचे जाने पर भी कहीं-न-कहीं, किसी-न-किसी रूप में एक मुख्य धारा से सम्पृक्त है। भाषा विशेष के साहित्य के सही मूल्याकंन एवं सच्चे आस्वाद के लिए उसे समग्र भारतीय साहित्य के परिदृश्य में रहकर देखा जाना नितान्त आवश्यक एवं वांछनीय है। 'भारतीय कविताएँ: 1987-88' सभी भाषाओं की दोनों वर्षों की पाँच-पाँच प्रतिनिधि कविताओं की महत्त्वपूर्ण चयनिका है। चुनाव केवल उन्हीं रचनाओं से किया गया है जो लिखी कभी भी गयी हों, पुस्तक, पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि के माध्यम से पहली बार सन् 1987-88 में प्रकाश में आयीं। इससे उक्त दोनों वर्षों की विशिष्ट कविताएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध एवं सुरक्षित हो सकेंगी और समकालीन भारतीय कविता के प्रति जिज्ञासु काव्य-प्रेमियों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। 'भारतीय कविताएँ : 1983' के प्रकाशन से इस श्रृंखला का आरम्भ हुआ था और तब से 1986 तक की चार चयनिकाएँ हम पहले ही प्रकाशित कर चुके हैं। हमें पूरा विश्वास है कि उक्त चयनिकाओं के समान ही इसे भी आप समकालीन भारतीय कविता को समझने और परखने की दृष्टि से उपयोगी पायेंगे।
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