Suno Karigar

Hardbound
Hindi
9788181436504
3rd
2021
104
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सुनो कारीगर - समकालीन हिन्दी कविता आज दो ख़तरों से जूझ रही है। उसका पहला ख़तरा संवेदनशून्य और अनुभव रहित उस तरह की कवितानुमा चीज़ों से आता है जिनमें सतही ढंग से वाम राजनीति के नारे उगले जा रहे हैं, और दूसरी ओर तथाकथित आधुनिकतावादी लोग हैं जो ऐतिहासिक समय की तमाम चिन्ताओं से मुक्त भाषा की अबूझ और झीनी बुनावट के तनावहीन गिमिक्स में योरोप की सांस्कृतिक पतनशीलता

का ख़तरनाक आयात कर रहे हैं।

ऐसे माहौल में जिन युवा कवियों ने जनवादी विश्वदृष्टि का जातीय और सामाजिक अनुभवों की पड़ताल और रचना की सामग्री बनाने में वैज्ञानिक औज़ार की तरह प्रयोग किया है उनमें उदय प्रकाश का नाम स्वाभाविक ढंग से याद आता है।

उदय प्रकाश की इन कविताओं में जीवन के ठोस अनुभव सम्पूर्णता और सहजता के साथ आते हैं। ये कविताएँ अपने आसपास के उस जीवन को परत-दर-परत उद्घाटित करती हैं जिससे जुड़ाव की पहली शर्त संवेदना और धरातल पर निम्न पूँजीवादी और मध्य वर्ग की सीमाओं को अतिक्रमित करना है। उदय प्रकाश की इन कविताओं में वह अतिक्रमण मात्र नहीं है वरन ये कविताएँ उस चीखते- कराहते संसार से भी जुड़ने की कोशिश करती हैं जो आज की लफ़्फ़ाज सांस्कृतिक दुनिया में या तो विद्रूप होकर आता है या चालाकी से ओझल किया जा रहा है, और ठीक इसी बिन्दु पर उदय प्रकाश की कविताएँ एक दृष्टि सम्पन्न कवि की ओर से वर्ग समाज के निष्करुण यथार्थ में एक काव्यात्मक हस्तक्षेप की भूमिका में उतरती दिखती हैं। ये कविताएँ संवेदनात्मक सम्प्रेषण की सार्थकता में यह बताती हैं कि किस तरह कविताएँ एक कवि के सामाजिक कर्म का दस्तावेज़ बन सकती हैं।

उदय प्रकाश (Uday Prakash )

उदय प्रकाश हिन्दी कथा और कविता में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। जन्म 1 जनवरी 1952 को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के सीमान्त जिले अनूपपुर के छोटे-से गाँव सीतापुर में। प्राथमिक,

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