logo

कोरोना काल में अचार डालता कवि

Hardbound
Hindi
9788119014774
2nd
2023
96
If You are Pathak Manch Member ?

कोरोना काल में अचार डालता कवि - रामस्वरूप दीक्षित युगचेतना के कवि हैं। उनकी कविताएँ ऐसे बेचैन कवि की कविताएँ हैं, जो अपनी बेचैनी को पाठकों के साथ साझा करते हुए उन्हें अपने साथ उस स्थान पर ले जाती है, जहाँ बदलाव की रोशनी को आते हुए साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। समकालीन समाज में मनुष्य को मनुष्य की तरह जीने की गुँजाइश न के बराबर रह गयी है। कवि इस स्थिति से भीतर तक विचलित और आहत है। वह सुनियोजित साजिश के तहत आम आदमी को गिरफ़्त में लेने के लिए चुने जा रहे पूँजी के जाल को न केवल समझता है, वरन् उसे काटने को भी प्रेरित करता है। इस संग्रह की कविताओं से गुज़रते हुए आप पायेंगे कि इन्हें पढ़ने के बाद आप वह नहीं रह जाते जो पहले थे, बल्कि एक परिवर्तनकामी मनःस्थिति में पहुँच जाते हैं और ख़ुद को मनुष्यता के पक्ष में खड़ा पाते हैं। इन कविताओं की भाषा बेहद सहज और बोलचाल की होते हुए भी अपने में एक अलहदा क़िस्म की कथन भंगिमा लिए हुए है जो इन्हें न केवल पठनीय और ग्राह्य बनाती है बल्कि हमें अपने साथ कवि के भाव और विचारलोक में ले जाकर खड़ी कर देती है। मौजूदा वक़्त की सुनियोजित चालाकियों और साजिशों को बेनकाब करती ये कविताएँ हर उस आदमी का इक़बालिया बयान हैं जो पीड़ित, शोषित मानवता के पक्ष में तनकर खड़ा है। जीवन का नया मुहावरा गढ़ती ये कविताएँ हमारे आसपास से चलकर हमारे पास आकर हमसे बतियाने लगती हैं और हमें अपने साथ चलने को मजबूर कर देती हैं। इन्हें पढ़ना अपने समय और समाज की कड़वी सच्चाई से बावस्ता होना है। ख़ुद को और अधिक मनुष्य बनाये रखने के लिए इन्हें पढ़ना जीवन की ज़रूरत है। निश्चित ही यह संग्रह पढ़ा जाना चाहिए

रामस्वरूप दीक्षित (Ram Swaroop Dixit )

रामस्वरूप दीक्षित जन्म : 1 अगस्त 1957शिक्षा : रीवा विश्वविद्यालय से कला स्नातक ।प्रकाशन : दर्जन भर साझा संकलनों सहित धर्मयुग, सारिका, हंस, कथादेश, साक्षात्कार, कथन, वसुधा, कादंबिनी, नवनीत, साहित्य

show more details..

मेरा आंकलन

रेटिंग जोड़ने/संपादित करने के लिए लॉग इन करें

आपको एक समीक्षा देने के लिए उत्पाद खरीदना होगा

सभी रेटिंग


अभी तक कोई रेटिंग नहीं

संबंधित पुस्तकें