Tamilnadu Ki Hindi Kavyitriyan

Hardbound
Hindi
9789390678884
1st
2021
262
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तमिलनाडु राज्य की छवि सदैव से ही हिन्दी भाषा विरोधी राज्य की रही है। उत्तर भारतीयों के मन में अभी तक यह भ्रम बना हुआ है कि यहाँ पर हिन्दी साहित्य सम्बन्धी कार्य के प्रति लोगों का रुझान नहीं है, जबकि यहाँ पर हिन्दीतर भाषी हिन्दी के प्रचार-प्रसार तथा हिन्दी साहित्य संवर्धन हेतु बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं, और उत्तर भारत से यहाँ बरसों पहले आकर बसे हुए हिन्दी भाषी विद्वान भी इस क्षेत्र में सदैव प्रयासरत हैं। समस्या बस इतनी है कि उनको अपनी पहचान बनाने के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हैं। जब भी किसी संगोष्ठी या कार्यक्रम में उत्तर भारत से विभूतियाँ यहाँ आती हैं तो यहाँ के विद्वत्जन साहित्यकारों से मिलकर उनकी पहली प्रतिक्रिया यही होती है कि हमें नहीं पता था कि यहाँ हिन्दी का इतना बड़ा परिवार है और इतनी अच्छी हिन्दी बोलने और सुनने वाले बसते हैं। इस विषय पर जब वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक व मेरे मित्र अरुण माहेश्वरी से मेरी बात हुई और उन्होंने तमिलनाडु की कवयित्रियों का काव्य संकलन प्रकाशित करने पर अपना सकारात्मक रवैया दिखाया तो मैं अपनी गुरु डॉ. निर्मला एस. मौर्य के साथ इस अभियान में संलग्न हो गयी। अरुण माहेश्वरी को कोटिशः धन्यवाद जिन्होंने हम दोनों के इस स्वप्न को साकार किया।

मंजु रुस्तगी (Manju Rustagi)

डॉ. मंजु रुस्तगीशिक्षा : एम.फिल., पीएच.डी. (हिन्दी साहित्य) ।सम्प्रति : अवकाशप्राप्त प्रवक्ता एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष, वल्लियम्माल कॉलेज फॉर वुमेन, चेन्नई।उपलब्धि : दो पुस्तकें प्रकाशित । पत्र

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प्रो. निर्मला एस. मौर्य (Prof. Nirmala S. Maurya)

प्रो. निर्मला एस. मौर्यशिक्षा : पीएच.डी., डी. लिट्. ।अनुभव : पूर्व रजिस्ट्रार एवं विभागाध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, द.भा.हि.प्र. सभा, मद्रास (राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था), चेन्नई।शोध एवं शोध

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