Prem Mein Dar

Nivedita Author
Paperback
Hindi
9789387409644
1st
2017
124
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हाल के बरसों में जिन कवियों ने अपनी प्रतिभा और काव्य-आचरण से समस्त हिन्दी पाठक समुदाय को सम्मोहित और चमत्कृत किया है, उनमें निवेदिता जी अग्रणी हैं।

रोज़मर्रा के सुख-दुख से लेकर पूरे देश और संसार की ज्वलन्त समस्याओं पर जिस शिद्दत और त्वरा से निवेदिता ने लिखा है, वह विरल है। ये कविताएँ गहरे अर्थों में राजनीतिक हैं क्योंकि यहाँ राजनीति सीधे-सीधे मनुष्य की नियति से जुड़ी है। फिर भी निवेदिता की कविताएँ कभी भी अतिमुखर या वाचाल नहीं होतीं। अपने समय के ज़ख़्मों की शिनाख्त करती ये कविताएँ प्रेम के पक्ष में अडिग खड़ी होती हैं और इस तरह वर्तमान अँधेरे का एक प्रकाश-प्रतिपक्ष रचती हैं।

निवेदिता जी निपुण कलाकार हैं। नये बिम्बों के साथ यहाँ भाषा का एक नया संस्कार है जो कविताओं को कसाव तथा दृढ़ता प्रदान करता है। यह दूसरा संग्रह भी पहले संग्रह की ही तरह सहृदय पाठकों का कण्ठाभरण बनेगा, ऐसी आशा है।

-अरुण कमल



प्रेम एक आग है। आग ऊर्जा का मूल है। हर प्रकार की भूख को शमन करने की शक्ति देती है आग । निवेदिता के हृदय में पूरी त्वरा से जलती है यह आग जो एक साथ अन्याय से, भूख से लड़ना सिखाती है और प्रेम करना सिखाती है । निवेदिता की प्रेम-कविताएँ व्यक्तिगत न होकर सार्वभौमिक हो जाती हैं। जब वह चाँद, रातों में उतरता है भीतर, फैल जाता है सृष्टि के अन्तिम छोर तक करने को प्यार बार-बार ।

निवेदिता की कविताओं में जीवन है, गति है, लय है और है अकूत जिजीविषा ! ऐलान के बहाने रोज़-ब-रोज़, युद्ध, क्षुद्र स्वार्थ और घृणित मंशा के साथ हलाक़ होते नौनिहालों को स्वर्ग से खींच लाने की ज़िद है। कविताएँ पढ़ते हुए सहसा ये कहने का जी करता है कि ज़िन्दगी कितनी भी बुरी क्यों न हो, मौत से बेहतर है।

- पद्मश्री उषाकिरण खान

निवेदिता (Nivedita)

लेखक, कवि, वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता। लम्बे समय तक पत्रकारिता की। इनकी कहानियाँ, कविताएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित हुईं। कविता की दो किताब वाणी प्रकाशन से प्रकाशित- ज़ख

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