Yatra

Ravikant Author
Hardbound
Hindi
9788126316878
2nd
2011
144
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यात्रा - 'यात्रा' युवा कवि रविकान्त का पहला कविता संग्रह है। रविकान्त उस पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं जिसे पता है, कि 'किसी को नहीं पता है/कि कौन सी हथकड़ी, उसके/ किस वर्तमान को जकड़ लेती है।' सदी के दुःस्वप्नों से उबर कर रचनाशीलता के अछोर संसार में दाखिल होने वाले प्रत्येक रचनाकार की तरह रविकान्त यथार्थ को उसके वास्तविक रूपाकार में पहचानते हैं। पुराने आदर्श शीर्ण पत्तों की तरह गिर रहे हैं और नयी सामाजिकता की कोपलें सामने हैं। व्यक्ति से विश्व तक परिवर्तन का चक्र इतनी तीव्रता से घूम रहा है कि सिद्धान्त, निष्ठा, स्वप्न और प्रतिबद्धता के अर्थ अपने 'आन्तरिक सत्यों' से विचलित हो रहे हैं। रविकान्त समय के चेहरे पर उतरते-उभरते भावों-प्रभावों से बाख़बर हैं। उनकी प्रायः प्रत्येक कविता किसी न किसी 'मानुष सत्य' का निर्वचन करती है। रविकान्त 'इन कविताओं का कवि एक सपने में मारा गया' जैसी लम्बी कविता में संवेदना और विचार के साथ उस शिल्प को भी साधते हैं जो रचना को भावोच्छ्वास से मुक्त कर, उसे संकल्प में रूपान्तरित करता है। 'यात्रा' संग्रह की माँ, विद्योत्तमा, चने, हमज़ाद, कवि का प्रतिनायक, सर्जना, ऐ रघु, रीवा, इस भूख में, आमीन, मेरी आवाज़ आदि अनेक कविताएँ रविकान्त की रचनात्मक विशिष्टता के साथ उनके जीवन-विवेक को भी रेखांकित करती हैं। भारतीय ज्ञानपीठ के 'नवलेखन पुरस्कार' से सम्मानित यह कविता-संग्रह 'यात्रा' रविकान्त की काव्य-यात्रा का ऐसा प्रस्थान है जिसकी ऊर्जा पाठकों को आश्वस्त करेगी, ऐसा विश्वास है।

रविकान्त (Ravikant )

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