logo
  • बेस्टसेलर

चाँद का मुँह टेढ़ा है

कविता
Hardbound
Hindi
9788126351713
25th
2021
296
If You are Pathak Manch Member ?

चाँद का मुँह टेढ़ा है -
"मुक्तिबोध की लम्बी कविताओं का पैटर्न विस्तृत होता है। एक विशाल म्यूरल पेण्टिंग— आधुनिक प्रयोगवादी; अत्याधुनिक, जिसमें सब चीज़ें ठोस और स्थिर होती हैं; किसी बहुत ट्रैजिक सम्बन्ध के जाल में कसी हुई ...
अगर किसी ने स्वयं मुक्तिबोध की ज़बानी उनकी कोई रचना सुनी हो, तो... कविता समाप्त होने पर ऐसा लगता है जैसे हम कोई आतंकित करनेवाली फ़िल्म देखने के बाद एकाएक होश में आये हों।
चूँकि वह पेण्टर और मूर्तिकार हैं अपनी कविताओं में—और उनकी शैली बड़ी शक्तिशाली, कुछ यथार्थवादी मेक्सिकन भित्ति चित्रों की-सी है।...
वह एक-एक चित्र को मेहनत से तैयार करते हैं, और फिर उसके अम्बार लगाते चलते हैं। एक तारतम्य जैसे किसी ट्रैजिक नाट्य मंच पर एक उभरती भीड़ का दृश्य- पूर्वनियोजित प्रभाव के साथ खड़ी....
इसके प्रतीक प्राचीन गाथाओं के टुकड़े जान पड़ते हैं। मगर इन टुकड़ों में सन्दर्भ आधुनिक होता है। यह आधुनिक यथार्थ कथा का भयानकतम अंश होता है...
मुक्तिबोध का वास्तविक मूल्यांकन अगली, यानी अब आगे की पीढ़ी निश्चय ही करेंगी; क्योंकि उसकी करुण अनुभूतियों को, उसकी व्यर्थता और खोखलेपन को पूरी शक्ति के साथ मुक्तिबोध ने ही अभिव्यक्त किया है। इस पीढ़ी के लिए शायद यही अपना ख़ास महान कवि हो।"—शमशेर बहादुर सिंह
पाठकों को समर्पित है पुस्तक का नया संस्करण।

गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibodh )

गजानन माधव मुक्तिबोध जन्म: 13 नवम्बर, 1917, श्योपुर (ग्वालियर)।शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर । एक प्राध्यापक के रूप में उज्जैन, शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, मुम्बई, बेंगलु

show more details..

मेरा आंकलन

रेटिंग जोड़ने/संपादित करने के लिए लॉग इन करें

आपको एक समीक्षा देने के लिए उत्पाद खरीदना होगा

सभी रेटिंग


अभी तक कोई रेटिंग नहीं