पदचिह्न - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ओड़िया के प्रतिष्ठित कवि सीताकान्त महापात्र की कविताओं के नवीन संग्रह 'पदचिह्न' का हिन्दी में सहज सुन्दर रूपान्तर। सीताकान्त के इस संग्रह की कविताओं को विराट् फलक पर एक बड़े कवि के सार्थक हस्तक्षेप के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। अपने युग और परिवेश का प्रभाव हर महान रचनाकार की कृति पर होता है। रचना की प्रासंगिकता के लिए शायद यह ज़रूरी भी है। दरअसल रचना में अनुभव और अभिव्यक्ति का दायरा जितना बड़ा होता है, वह तमाम समयों में भी निरन्तर अर्थवान बनी रहते हुए युगों के पार पहुँचती है। कहा जाता है कि सीताकान्त जी समय और शब्द के कवि हैं। निस्सन्देह उनका यह 'पदचिह्न' संग्रह इस दृष्टि से अद्वितीय है; बल्कि यह कहना भी सही होगा कि सतत खोज में लगी अपनी जीवन-दृष्टि और खरी अनुभूति के साथ अब सीताकान्त महापात्र की कविता समय के सत्य में उतरकर समयातीत को थाहने की रचनात्मक यात्रा के शिखर पर है। हिन्दी पाठकों के हाथों में समर्पित है इस महत्त्वपूर्ण कृति का नया संस्करण।
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