Aadhi Raat Mein Devasena

Hardbound
Hindi
9788126340613
1st
2012
144
If You are Pathak Manch Member ?

आधी रात में देवसेना - प्रेम की इच्छा बुनियादी तौर पर जीवन के अच्छे शिल्प की चाहत है, इसीलिए कवि अंशुल त्रिपाठी एक कसक के साथ कहते हैं कितनी चाह थी मुझे सुगढ़ता की। हालाँकि परिस्थितियों के दुश्चक्र में पड़कर सौन्दर्य की कल्पना का शीराज़ा बिखरता है और कविता उससे जन्मी पीड़ा और तनाव का दृश्यालेख बन जाती है। प्यार के निष्फल रह जाने की हक़ीक़त के अनुरूप और उसे ठीक-ठाक व्यक्त करने के इरादे से अंशुल अमूर्तन, मितकथन, फीके और उदास रूपकों और संकेतों का सहारा लेते हैं। उनके अन्दाज़ में शाइस्तगी, संकोच और लर्ज़िश है जो प्रेम के अभिशप्त होने की विडम्बना, उसके समक्ष कातरता के अहसास और सुन्दरता की स्मृतियों के 'अनिश्चित' होने के दर्द की स्वाभाविक निष्पत्ति है। वे प्रेमावेग में न तो यथार्थ को नज़रअन्दाज़ होने देते हैं, न निराशा की चपेट में जीवन के सकारात्मक पहलू से मुँह मोड़ते हैं। दूसरे, प्रेम के सम्मुख लघुता या असमर्थता का अहसास सिर्फ़ व्यक्तिगत या वर्गगत मामला नहीं, बल्कि एक बड़े फलक पर उसकी उदात्तता की विनम्र पहचान है और उसके ज़रिये ज़्यादा मानवीय हो सकने की कोशिश। अंशुल ने असुन्दर को सुन्दर, भय को साहस और बंजर को हरीतिमा में बदलने की प्रेम की ताक़त का साक्षात्कार किया है, वह भी 'बाबरी ध्वनि की सांख्यिकी पर टिकी प्रेम की मृत्यु' का जोख़िम उठाकर। ज़ाहिर है उसके बिना प्रेम सम्भव नहीं। जहाँ एक द्वन्द्वात्मक अनुभूति प्रबल है, वहाँ कवि की अभिव्यक्तियों में अनूठी सान्द्रता है। वे प्रेम की किसी शाश्वत विडम्बना के समकालीन पाठ निर्मित करती हैं।

अंशुल त्रिपाठी (Anshul Tripathi )

अंशुल त्रिपाठी - जन्म: 19 जुलाई, 1975, इलाहाबाद (उ.प्र.) में। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी)। नया ज्ञानोदय, कथादेश, वागर्थ, वसुधा, जनमत, माध्यम, स्वाधीनता, कथा, अभिप्राय, उन्नयन, सम्बोधन, प्रभात ख़बर, रचना समय, अक्ष

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

Related Books

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter