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Srijan Ke Vividh Roop Aur Alochana

Hardbound
Hindi
9789362872418
1st
2024
192
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सृजन के विविध रूप और आलोचना शीर्षक इस पुस्तक में श्री लहरी राम मीणा के कुछ वैचारिक निबन्ध हैं जो सैद्धान्तिक भी हैं और साहित्यकार विशेष पर भी केन्द्रित हैं तथा लोकसाहित्य और मध्यकाल से लेकर समकालीन साहित्य तक का विवेचन करते हैं । इन निबन्धों के विषय अलग-अलग हैं पर सबके विश्लेषण में लेखक की दृष्टि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक है तथा ये सभी साहित्य के अनुशासन में प्रस्तुत हैं। लेखक ने पूर्व के आलोचकों और साहित्य- विचारकों के सन्तुलित निष्कर्षों को अपने कुछ नये उद्धरणों द्वारा भी पुष्ट किया है जिनसे असहमति की गुंजाइश लगभग नहीं है । श्री मीणा ने अपने विवेचन और विश्लेषण को कहीं उलझाया नहीं, बल्कि साक्ष्यों द्वारा साफ़गोई से व्यक्त किया है, जो आलोचना और आलोचक का गुण होना चाहिए ।

लेखक और पुस्तक को शुभकामना !

- विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

लहरी राम मीणा (Lahari Ram Meena)

लहरी राम मीणा जन्म : सन् 1985, गाँव–रामपुरा उर्फ बान्यावाला, नियर : एनएच-8, एमिटी यूनिवर्सिटी, जयपुर ।शिक्षा एम. फिल., पीएच.डी., दिल्ली विश्वविद्यालय। आप प्रतिष्ठित युवा आलोचक, कवि एवं रंग-समीक्षक है

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