Triveni

Hardbound
Hindi
9789352290659
1st
2016
104
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त्रिवेणी' आचार्य रामचंद्र शुक्ल के तीन आलोचनात्मक निबंधों का संग्रह है। वे निबंध हैं : 1. मलिक मुहम्मद जायसी, 2. महाकवि सूरदास तथा 3. गोस्वामी तुलसीदास आचार्य शुक्ल हिंदी के अप्रतिम साहित्य-चिंतक, आलोचक, निबंधकार और साहित्य के इतिहास लेखक के रूप में ख्यात हैं। वे कुशल अनुवादक भी थे। उन्होंने हिंदी साहित्य के विश्लेषण और मूल्यांकन के जो प्रतिमान स्थापित किए, उनके आगे आज तक कोई बढ़ नहीं पाया। उनके समर्थन या विरोध की दिशा में जाने वाले रास्ते उनसे होकर ही गुजरते हैं। उन्होंने जिसे जहाँ बिठा दिया, वहाँ से उसे अभी तक कोई ऊपर-नीचे नहीं कर सका है। कोशिश बहुतों ने की। हिंदी समीक्षा को वैज्ञानिक तथा प्रौढ़ स्वरूप देने वाले वे प्रथम समीक्षक हैं। वे हिंदी के सही मायने में आचार्य हैं। उनके पहले की समीक्षा गुण-दोष-विवेचन तथा पुस्तक-समीक्षा तक ही सीमित थी । उनके द्वारा किए गए कार्यों का आकलन करने से यह बात सहज ही ख्याल में आ जाती है कि उन्होंने जबरदस्त तैयारी के साथ हिंदी आलोचना के क्षेत्र में कदम रखा था। उन्होंने साहित्य, दर्शन, इतिहास, मनोविज्ञान, विज्ञान आदि अनेक क्षेत्रों की अपने समय तक की नवीनतम उपलब्धियों को आत्मसात् करके हिंदी समीक्षा की नींव रखी थी।

- भूमिका से

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (Acharya Ramchandra Shukla)

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (4 अक्टूबर, 1882-1942) बीसवीं शताब्दी के हिन्दी के प्रमुख `साहित्यकार थे। उनका जन्म बस्ती, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकों में प

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