Samay Srijan

Vandna Singh Author
Hardbound
Hindi
9789389012514
1st
2020
160
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वंदना सिंह की इस पुस्तक को अगर समकालीन लेखन, उसकी रचनाशीलता और पूरे विधागत साहित्यिक परिदृश्य को समेटने वाला लघु एनसाइक्लोपीडिया कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। समकालीन सृजन पुस्तक साहित्य का ऐसा ही लघु एनसाइक्लोपीडिया है, जिसमें लगभग चार पीढ़ियों के रचनाकार एक मंच पर मिल जायेंगे। एक तरफ यह हिन्दी साहित्य के डॉ. नामवर सिंह, कृष्णा सोबती, अशोक वाजपेयी, नन्दकिशोर आचार्य, नरेन्द्र कोहली, दूधनाथ सिंह, विश्वनाथ त्रिपाठी, रवीन्द्र कालिया, मैत्रेयी पुष्पा, उषाकिरण खान, चित्रा मुद्गल, असग़र वजाहत, नरेश सक्सेना, मृदुला गर्ग, लीलाधर जगूड़ी, शैवाल, विजय बहादुर सिंह, गंगा प्रसाद विमल, जैसे वरिष्ठ रचनाकारों की रचनाशीलता पर यह पुस्तक प्रकाश डालती है, तो दूसरी तरफ़ इसमें लोकप्रिय साहित्य के एकदम नये चेहरे जैसे सत्य व्यास, दिव्य प्रकाश दुबे, पंकज दुबे की रचनाशीलता की भी पड़ताल करने की कोशिश की गयी है। एक तरफ़ अखिलेश, अनामिका, अवधेश प्रीत, मदन कश्यप, अलका सरावगी, भगवानदास मोरवाल, तेजिन्दर, बद्री नारायण, पवन करण, मधु कांकरिया, रजनी गुप्त जैसे बीच की पीढ़ी के लेखक हैं, तो दूसरी तरफ़ इनके बाद की पीढ़ी के लेखक भी नज़र आ जायेंगे। अलग- अलग विधाओं के लगभग पाँच दर्जन से अधिक नये-पुराने कथाकारों, आलोचकों, कवियों, कलावन्तों की रचनाशीलता के बारे में छोटी-छोटी, मगर बेहद गम्भीर टिप्पणियाँ इस पुस्तक की विशेषता है। इस पुस्तक की एक और बड़ी विशेषता यह है कि यह गम्भीर और लोकप्रिय साहित्य की धारणा-अवधारणाओं के अतिक्रमण के अलावा पुराने और प्रचलित साहित्यिक खाँचों को भी तोड़ने का काम करती है। किसी लेखक, उसके सरोकारों, उसकी रचना-प्रक्रिया को बहुत संक्षिप्त में जानना है, तो समकालीन सृजन पुस्तक इस मायने में बेहद उपयोगी साबित होगी। क्योंकि एक पाठक को यह इन लेखकों की अपनी अलग साहित्यिक दुनिया से परिचित कराती है। एक तरह से इस पुस्तक को समकालीन हिन्दी लेखन का परिचयात्मक इतिहास भी कहा जा सकता है। वास्तव में, यह पुस्तक एक साथ समकालीन हिन्दी साहित्य की मुख्यधारा की चार पीढ़ियों का एक प्रतिनिधि रूप है।

वंदना सिंह (Vandna Singh)

जन्म : गया, बिहार में। शिक्षा : नाजरेथ एकेडमी, गया और गया कॉलेज गया। सम्पादन : साहित्यिक पत्रिका 'समयमान' का सम्पादन। प्रकाशन : दैनिक ट्रिब्यून में दो साल साप्ताहिक स्तम्भ, क्विंट हिन्दी, न्यू

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