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श्रीपाल सिंह क्षेम का काव्य

Hardbound
Hindi
9789350728437
1st
2017
144
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श्रीपाल सिंह 'क्षेम' छायावादोत्तर-युग के मानव-मुखी काव्यधारा के श्रेष्ठ कवि हैं। वह प्रेम और सौन्दर्य-बोध के गीतकार हैं। उन्होंने गीत और प्रगीत दोनों ही प्रकार के गीत रचे हैं। मिलन के गीत गाने में 'बच्चन' और 'क्षेम' दोनों ही समर्थ गीतकार हैं। 'क्षेम' पर समीक्षा की पुस्तक का न आ पाना एक ऐसा कारण है जिसमें 'क्षेम' जी की जीवन-शैली परिलक्षित होती है। उनकी रचनाओं की एक पोटली चित्रकूट के कवि-सम्मेलन से लौटते समय गुम हो गयी। उनके गीतों-प्रगीतों की पाण्डुलिपि रखी हुई थी। जौनपुर में बाढ़ के प्रकोप के बाद दीमक ने उसे चट कर दिया। एक और घटना घटी कि जो रचना थी रखी हुई, उसके ऊपर मीठी दवा गिर गयी थी और भीतर से दीमक उसे भी समाप्त कर चुके थे, जब उसके ऊपर की मिट्टी को झाड़ा गया तो वे सारी रचनाएँ मिट्टी की तरह झड़ गयीं। ये ऐसे कारण रहे जिससे उनके काव्य-विकास को समझने में उनके प्रकाशन पर ध्यान देना उचित नहीं होगा। उसे समझने के लिए वे कब के लिखे गये हैं, इसका ध्यान रखकर समीक्षकीय दायित्व का निर्वहन किया गया है।

'क्षेम' जी मंचीय कवि थे किन्तु उनके गीत 'जभी से जगो रे भाई तभी से सवेरा है' इसका प्रकाशित रूप नहीं दिखाई दिया। जो भी सामग्री उपलब्ध हो सकी है, उसकी पूर्णता को मानकर पुस्तक आकार ले सकी है। 'अन्तर्जाला' में उनके प्रारम्भिक गीत हैं। नीलम-तरी, ज्योति-तरी, संघर्ष-तरी पहले छपी थी किन्तु जीवन-तरी का रचनाकाल 'संघर्ष-तरी' के पहले का है। 'क्षेम' पर समीक्षा-पुस्तक के आने से हिन्दी गीत-संसार को लाभ होगा। प्रगतिवादी आन्दोलन और प्रयोगवादी आन्दोलनों ने हिन्दी गीत विधा को बासी घोषित कर दिया इससे कविवर 'क्षेम' जैसे गीतकारों को लिखना पड़ा कि 'साथी गीत न होते बासी', और 'न छीनो गीत ये मेरे' । अपने समीक्षकीय दायित्व के निर्वहन में मैंने रचनाशीलता की पृष्ठभूमि को देखा है। जिसमें गीत की भाषा सहज, प्रवाहमय और गीतात्मक होती है तो मैंने भी समीक्षा की भाषा को एकदम सहज और सरल बनाने का भरसक, प्रयत्न किया है। 'क्षेम' के गीत छायावादोत्तर-युग से प्रारम्भ होते हैं और साठोत्तरी-गीत के रूप में चलते रहते हैं।

डॉ. विनोद कुमार सिंह (Dr. Vinod Kumar Singh)

डॉ. विनोद कुमार सिंह जन्म : 15 जून 1958, ग्राम-उदईपुर दीपी, पत्रालय-पिलकिछा, जनपद-जौनपुर (उ. प्र.) ।शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), प्रथम श्रेणी (बी.एच.यू.), पीएच.डी. (बी.एच.यू.), डी. लिट्. (मगध विश्वविद्यालय, बोध गया)।प्

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