आधुनिक हिन्दी कहानी का स्थान और उसका मूल्यांकन तथा उसके अभ्यन्तर में जितनी शक्तियाँ कार्य कर रही हैं, उन सबका लेखा-जोखा तथा विवेचन बड़ी गहन दृष्टि की माँग करता है। इसकी जय-यात्रा प्रेमचन्द से शुरू होकर आज तक की नई कहानी तक अबाध गति से प्रवहमान है।
इस आधुनिकता का श्रीगणेश अपनी समर्थ तथा मानववादी लेखनी से प्रेमचन्द ने किया था। उसका महत्त्वपूर्ण विकास जैनेन्द्र, अज्ञेय और यशपाल ने अपनी कहानियों द्वारा किया। फिर आई नई कहानी। इस आधुनिक हिन्दी कहानी का गम्भीर विश्लेषण मिलेगा आपको ‘हिन्दी कहानियों की शिल्प-विधि का विकास' के विद्वान लेखक डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल की इस गम्भीर रचना में।
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