कुछ लोग हैं जो यह तर्क पेश करते हैं कि हिन्दू समाज से जाति प्रथा को मिटाया जा सकता है। लेकिन मैं उनकी इस बात को स्वीकार नहीं करता। जो ऐसे विचार सामने रखते हैं वे शायद यह सोचते हैं कि जाति प्रथा एक क्लब, नगरपालिका या देशीय परिषद की तरह की कोई संस्था है। यह उनकी भारी गलती है। जाति प्रथा धर्म का मामला है और धर्म किसी भी संस्था से बड़ी चीज होती है। यह संस्थागत मामला हो सकता है लेकिन यह स्वयं वह नहीं है जिस संस्था से यह जुड़ा हुआ है।
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
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