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Tilism

Divya Mathur Author
Hardbound
Hindi
9789355189028
1st
2023
588
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तिलिस्म में पुरुषों के मनोविज्ञान की उसकी समग्रता में दर्शाया गया है। कठोर पिता और पीडोफ़ाइल - शिक्षक से तंग आकर घर से भाग निकलने और दोहरा जीवन जीने को अभिशप्त बालक उपेन्द्र को कसाई सलीम भाई की दुकान में मांस काटना मंजूर है, किन्तु घर लौटना नहीं । भंगी कॉलोनी के एक अनाथ और हमउम्र लड़के अली के संग से वह सड़कों पर सुरक्षित रातें गुज़ारने के गुर सीखता है।

संयोग से, सलीम भाई की बीवी उसे गोद ले लेती हैं; जिनसे भरपूर प्रेम मिलने के बावजूद वह आत्मविश्वास की कमी और सेक्स सम्बन्धी कई समस्याओं में उलझकर अवसादग्रस्त हो जाता है, जिससे निजात दिलवाने के लिए उसके अब्बू-अम्मी उसे लन्दन भेजते हैं। लन्दन में उपेन्द्र वहाँ की चकाचौंध, गरीबी, शोषण, समृद्ध परिवारों की विलासिता, अविश्वास, षड्यन्त्र, दोस्ती और दुश्मनी से जूझता है।

कई परिवेशों और देशों में फैली हुई यह रोचक कथा महाकाव्यात्मक उपन्यास है, जिसमें जटिल सम्बन्धों में छटपटाता उपेन्द्र दो लैवेंडर विवाहों के बावजूद अप्रसन्न है; दूसरी पत्नी की वजह से जेल और प्रेमिका की वजह से ड्रग्स के चक्करों से वचता- बचाता वह अम्मी के पास लौट आता है लेकिन हवाई अड्डे पर उतरते ही उसे अहसास हो जाता है कि दिल्ली उसका अन्तिम पड़ाव नहीं है।

यह उपन्यास अपने समय से आगे की कथा कहता है।

प्रो. राजेश कुमार

(वरिष्ठ साहित्यकार)

दिव्या माथुर (Divya Mathur)

दिव्या माथुर, वातायन- यूके की संस्थापक, रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो, आशा फ़ाउंडेशन की संस्थापक सदस्य, ब्रिटिश-लाइब्रेरी की 'फ्रेंड', पद्मभूषण मोटुरी सत्यनारायण लेखन सम्मान, वनमाली कथा सम्

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