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दिव्या माथुर

दिव्या माथुर, वातायन- यूके की संस्थापक, रॉयल सोसाइटी ऑफ़ आर्ट्स की फ़ेलो, आशा फ़ाउंडेशन की संस्थापक सदस्य, ब्रिटिश-लाइब्रेरी की 'फ्रेंड', पद्मभूषण मोटुरी सत्यनारायण लेखन सम्मान, वनमाली कथा सम्मान और आर्ट्स काउंसिल ऑफ़ इंग्लैंड के आर्ट्स अचीवर जैसे अनन्य पुरस्कारों से अलंकृत, कई विश्वविद्यालयों द्वारा सम्मानित हैं। आप नेहरू केन्द्र लन्दन में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, विश्व हिन्दी सम्मेलन-2000 की सांस्कृतिक उपाध्यक्ष, यूके हिन्दी समिति की उपाध्यक्ष और कथा-यूके की अध्यक्ष रह चुकी हैं। आपका नाम 'इक्कीसवीं सदी की प्रेरणात्मक महिलाएँ, आर्ट्स काउंसिल ऑफ इंग्लैंड की 'वेटिंग रूम', 'एशियंस हूज हू', 'सीक्रेट्स ऑफ़ वर्ड्स इंस्पिरेशनल वीमेन' जैसे कई ग्रन्थों में सम्मिलित है। आप बहु-पुरस्कृत लेखिका, बाल पुस्तकों की अनुवादक और सम्पादक हैं; जिनके आठ कहानी-संग्रह, आठ कविता-संग्रह, एक उपन्यास, शाम भर बातें (दिल्ली विश्वविद्यालय के बीए ऑनर्स पाठ्यक्रम में शामिल), एक बाल उपन्यास बिन्नी बुआ का बिल्ला और छह सम्पादित संग्रह प्रकाशित हैं। साहित्य अकादमी - शिमला, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, विश्वरंग भोपाल, कोलम्बिया- न्यूयॉर्क, हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा जैसे कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों द्वारा आमन्त्रित की जा चुकी हैं। दूरदर्शन द्वारा आपकी कहानी पर एक टेली फिल्म बनायी गयी है। डॉ. निखिल कीशिक द्वारा निर्मित 'घर से घर तक का सफ़र: दिव्या माथुर को विभिन्न फिल्म फेस्टिवल्स में शामिल किया जा चुका है।