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पान -
पान में सर्वोत्तम कविता में पायी जाने वाली सहस्वरता है; दरअस्ल यह कविता ही है जो गद्य में लिखी गयी है, और दोनों के श्रेष्ठ गुणों से सराबोर है... यूरोप में पान को कई साल तक एक बेमिसाल कृति के रूप में देखा जाता रहा है, ख़ास तौर पर युवा लोगों द्वारा। एक अर्थ में पान एक प्रतीकात्मक कृति है। एवार्दा और ग्लान के बीच का द्वन्द्व स्त्री और पुरुष का अन्तर्द्वन्द्व है। उनका गुरूर ऐसा इन्सानी गुरूर है जो ख़ुशी की तमन्ना करता है और उससे भाग जाना चाहता है। -आइजैक बाशेविस सिंगर
हाम्सन में ऐसे गुण हैं जो वाकई अज़ीम हैं। इन्सानी फ़ितरत के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं है जो वे न जानते हों। - रेबेका वेस्ट
अन्तिम पृष्ठ आवरण -
फिर जल्दी ही रात होना बन्द हो गयी। सूर्य मुश्किल से अपना चेहरा समन्दर में डुबोता था, फिर ऊपर आ जाता था...
कितना कुछ था सुनने को। मैं तीन रात नही सोया, दीदरिक और इसेलीन के बारे में सोचते हुए।
देखा, मैने सोचा था न, वें आयेंगे, और इसेलीन दीदरिक को रिझाकर किसी दरख़्त पर ले आयेगी और कहेगी में यहाँ खड़े रहना, दीदरिक और इसेलीन पर नज़र रखना, पहरा देते रहना। वह शिकारी मेरे जूतों के तमसे बाँधेगा और वह शिकारी में हूँ और वह आँखों से इशारा करेगी मुझे ताकि मैं समझ जाऊँ। और जब वह आती है मेरा हृदय सब समझ जाता है, और वह धड़कता नहीं, खिल उठता है। अपने लिबास के नीचे वह सिर से पाँव तक नग्न है और मैं अपना हाथ उस पर रख देता हूँ। 'मेरा तमसा बाँधो!' उसके कपोल जल रहे होंगे। और कुछ देर में मेरे मुहँ पर, मेरे होंठों पर वह खुसफुसायेगी, उफ, तो मेरे तमसे नहीं बाँध रहे न तुम, मेरी जान, बाँध नहीं रहे न...
लेकिन सूर्य समन्दर में अपना चेहरा डुबोता है और फिर निकल आता है, लाल, तरोताजा, जैसे नीचे सिर्फ़ पीने गया हो। और हवा सरगोशियों से भर उठती है। -(इसी उपन्यास से)
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