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Bhava

Paperback
Hindi
8126303867
3rd
2005
126
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₹45.00

भव -
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित आधुनिक कन्नड़ भाषा के अप्रतिम साहित्यकार प्रो.यू.आर. अनन्तमूर्ति के उपन्यास 'भव' का यह नया संस्करण हिन्दी पाठकों के लिए प्रस्तुत है।
अनन्तमूर्ति के समग्र कथा लेखन में एक समाजविज्ञानी चिन्तक की मूल्यपरक सैद्धान्तिक दृढ़ता और कथाकार की सृजनात्मक संश्लिष्टता के बीच तमाम तरह के बहुआयामी संघर्ष विद्यमान हैं। दरअसल, उनकी प्रत्येक कथाकृति में अनेक दृष्टिकोण एक साथ उभरते हैं, जिनका सरलीकरण करके उस पर कोई एकपक्षीय धारणा बनाना असम्भव है। इस दृष्टि से उनका यह उपन्यास 'भव' भी इसका अपवाद नहीं है। जटिल रूपकों और चरित्रों के माध्यम से सिद्धान्त और कला के बीच चलता एक अन्तहीन संघर्ष 'भव' में भी पूरे वैचारिक साहस के साथ उपस्थित है।
कहा जा सकता है कि विचार और शिल्प के स्तर पर 'भव' अनन्तमूर्ति की रचना यात्रा का एक नया दिशा-संकेत भी है, साथ ही यह उपन्यास शायद उनकी गतिशील सृजनात्मकता के एक और नये पक्ष का उद्घाटन भी है।

बी. आर. नारायण (B. R. Narayan)

जन्म: 1928, बैंगलूरु में। शिक्षा: दिल्ली विश्व विद्यालय से हिन्दी में एम.ए.। मातृभाषा कन्नड़। सरकारी नौकरी से सेवा-निवृत्त। कन्नड़ के अधिकतर शीर्ष लेखकों का हिन्दी पाठकों से परिचय करवाने में सक

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यू. आर. अनन्तमूर्ति (U. R. Ananthamoorthi )

कर्नाटक के शिमोगा जिले के तीर्थतल्ली नगर में 1932 में उनमें अनंतमूर्ति कन्नड़ के ख्यातिप्राप्त उपन्यासकार एवं कहानीकार हैं। मैसूर विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1956 से वहीं

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