Your payment has failed. Please check your payment details and try again.
Ebook Subscription Purchase successfully!
Ebook Subscription Purchase successfully!
महाश्वेता देवी के उपन्यास का मतलब ही है, कोई भिन्नतर स्वाद ! किसी भिन्न जीवन की कथा ! उनकी कथा- बयानी में न कोई ऊपरी-ऊपरी घटना होती है, न कोई हल्की-फुल्की घटना या कहानी । ज़िन्दगी के बिल्कुल जड़ तक पहुँच जाने की कथा ही वे सुनाती हैं। वह कहानी मानो कोई विशाल वृक्ष है। कहानी के नीचे बिछी पर्त-दर-पर्त मिट्टी को उकेरकर, बिल्कुल जड़ से महाश्वेता अपना उपन्यास शुरू करती हैं और पेड़ के सुदूरतम फुनगी तक पहुँच जाती हैं। बीवी दीदी इस उपन्यास में मूल चुम्बक ! उन्हीं से जुड़े उभरे हैं, वाणी, हाबुल, हरिकेश, सतु'दा जैसे कई-कई
पात्र ! दरअसल, जटायु उपन्यास में जितनी घटनाएँ हैं, उससे कहीं ज़्यादा रिश्तों की खींचतान ! दो चरित्रों के आपसी रिश्ते ! यह सोच-सोचकर हैरत होती है कि उसी बीवी दीदी को उनके पिता, उनके विवाहित जीवन में सुखी नहीं देख पाये । उधर बीवी दीदी यानी रमला हैं, वे ज़िन्दगी में कभी भी अपनी देह, अपने पति के सामने बिछा नहीं पायीं! ऐसी जटिलता आख़िर क्यों? वैसे इस तरह की जटिलता, इन्सान के अन्दर ही बसी होती है ! इन्सान के अवचेतन में! उन्हीं अवचेतन दिलों की कहानी और मर्द औरत के आपसी रिश्तों के बीच खींचतान की कहानी है-जटायु !
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review