भटको नहीं धनंजय - अपनी पत्नी को अपने भाइयों के बीच बँटी हुई देखने से बड़ा कोई कष्ट किसी पुरुष के लिए भला क्या हो सकता है। महाभारत की नायिका द्रौपदी की त्रासदी अपनी जगह है, लेकिन उसके वियोग में अर्जुन का लम्बा संघर्ष और सन्त्रास भी कम नहीं है— और अर्जुन ने इन्हीं कष्टों और उनसे उपजी भटकन को जिया-भोगा था। दरअसल 'भटको नहीं धनंजय' में अपने समय के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर की उसी यातना की कथा है— पूरी कलात्मकता के साथ।
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