logo
  • स्टॉक ख़त्म

भटको नहीं धनंजय

उपन्यास
Paperback
Hindi
9789326351720
1st
1999
110
If You are Pathak Manch Member ?

भटको नहीं धनंजय - अपनी पत्नी को अपने भाइयों के बीच बँटी हुई देखने से बड़ा कोई कष्ट किसी पुरुष के लिए भला क्या हो सकता है। महाभारत की नायिका द्रौपदी की त्रासदी अपनी जगह है, लेकिन उसके वियोग में अर्जुन का लम्बा संघर्ष और सन्त्रास भी कम नहीं है— और अर्जुन ने इन्हीं कष्टों और उनसे उपजी भटकन को जिया-भोगा था। दरअसल 'भटको नहीं धनंजय' में अपने समय के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर की उसी यातना की कथा है— पूरी कलात्मकता के साथ।

पद्मा सचदेव (Padma Sachdev)

पद्मा सचदेव जम्मू में 1940 में जनमी पद्मा सचदेव को साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्कार विरासत में मिले। पहले उन्होंने डोगरी कवयित्री के रूप में ख्याति प्राप्त की और लोकगीतों से प्रभावित होकर कवि

show more details..

मेरा आंकलन

रेटिंग जोड़ने/संपादित करने के लिए लॉग इन करें

आपको एक समीक्षा देने के लिए उत्पाद खरीदना होगा

सभी रेटिंग


अभी तक कोई रेटिंग नहीं