Mrityunjaya (Birendra Kumar Bhattacharya)

Hardbound
Hindi
9789326352246
13th
2022
280
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मृत्युंजय - 1942 के स्वाधीनता आन्दोलन में असम की भूमिका पर लिखी गयी एक श्रेष्ठ एवं सशक्त साहित्यिक कृति है 'मृत्युंजय'। असम क्षेत्रीय घटनाचक्र और इससे जुड़े हुए अन्य सभी सामाजिक परिवेश इस रचना को प्राणवत्ता देते हैं। इसके चरित्र समाज के उन स्तरों के हैं जो जीवन की वास्तविकता के वीभत्स रूप को दासता के बन्धनों में बँधे-बँधे देखते, भोगते आये हैं। और अब प्राणपन से संघर्ष करने तथा समाज की भीतरी-बाहरी उन सभी विकृत मान्यताओं को निःशेष कर देने के लिए कृतसंकल्प दीखते हैं। उपन्यास में विद्रोही जनता का मानस और उसके विभिन्न ऊहापोहों का सजीव चित्रण है। विद्रोह की एक समूची योजना और निर्वाह, आन्दोलनकारियों के अन्तर-बाह्य संघर्ष, मानव-स्वभाव के विभिन्न रूप, और इन सबके बीच नारी-मन की कोमल भावनाओं को जो सहज, कलात्मक अभिव्यक्ति मिली है वह मार्मिक है। कितनी सहजता से गोसाईं जैसे चिर-अहिंसावादी भी हिंसा एवं रक्तपात की अवांछित नीति को देशहित के लिए दुर्निवार मानकर उसे स्वीकारते हुए अपने आपको होम देते हैं और फिर परिणाम? स्वातन्त्र्योत्तर काल के अनवरत, उलझे हुए प्रश्न?... भारतीय ज्ञानपीठ को हर्ष है कि उसे असमिया की इस कृति पर लेखक को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने का गौरव मिला।

डॉ. कृष्ण प्रसाद सिंह मागध (Dr.Krishan Prasad Singh Magadh)

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बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (Birendra Kumar Bhattacharya)

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