Leela Chirantan

Paperback
Hindi
9788126318315
7th
2015
140
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लीला चिरन्तन - व्यक्ति द्वारा अपनी गृहस्थी का सबकुछ छोड़कर अचानक संन्यास ले लेने से उपजी सामाजिक और सांसारिक तकलीफ़ों के बहाने आसपास का बहुत कुछ देखने-समझने की गम्भीर कोशिश है यह उपन्यास 'लीला चिरन्तन'। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित बांग्ला की यशस्वी कथा-लेखिका आशापूर्णा देवी ने इस विचित्र परिस्थिति को कई प्रश्नों और पात्रों के माध्यम से उपन्यास में जीवन्त किया है। उपन्यास की नायिका कावेरी, जो आत्मविश्वास से भरी पूरी है, तमाम सामाजिक प्रश्नों से निरन्तर जूझती रहती है और उन रूढ़ियों से भी लगातार लड़ती रहती है जो उसे जटिल सीमाओं में बाँधे रखना चाहती हैं। उपन्यास में इस पूरी नाटकीय किन्तु विश्वसनीय परिस्थिति को कावेरी की युवा और अल्हड़ बेटी प्रस्तुत करती है, साथ ही सारे परिदृश्य को भी अपने अनुभवों के आधार पर व्यक्त करती जाती है। कहना न होगा कि एक युवा-किशोरी के देखे-भोगे अनुभवों में गहरे उतरना इस 'लीला चिरन्तन' को रोचक और उत्तेजक संस्पर्श देता है। समकालीन मध्यवर्गीय जीवन और सामाजिक मानस की यथार्थ छवियों को प्रस्तुत करने के कारण यह उपन्यास अपने समय का जीवन्त एवं प्रामाणिक दर्पण बन गया है। बांग्ला पाठकों के बीच पहले से ही बहुचर्चित यह उपन्यास हिन्दी-पाठकों में भी उतना ही समादृत हुआ है।

रणजीत साहा (Ranjit Saha)

डॉ. रणजीत साहाहिन्दी के सुपरिचित विद्वान डॉ. रणजीत साहा (जन्म : 21 जुलाई, 1946), हिन्दी में एम.ए. ( प्रथम श्रेणी), विश्वभारती, शान्तिनिकेतन से पीएच.डी. तथा तुलनात्मक साहित्य एवं ललित कला अधिकाय में भी उ

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आशापूर्णा देवी (Ashapoorna Devi)

आशापूर्णा देवीबंकिमचन्द्र, रवीन्द्रनाथ और शरत्चन्द्र के बाद बांग्ला साहित्य-लोक में आशापूर्णा देवी का ही एक ऐसा सुपरिचित नाम है, जिनकी हर कृति पिछले पचास सालों से बंगाल और उसके बाहर भी एक नय

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