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मेरा नाम है गौहर जान - मेरा नाम है गौहर जान... भारतीय संगीत की सबसे पुरानी रिकॉर्डिंग की पहचान इस तीक्ष्ण ध्वनि वाली चुलबुली घोषणा से की जाती है, जिसे गायन के अन्त में बोला गया था। गायक की यह घोषणा भारतीय शास्त्रीय संगीत के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई जिसने हमारे संगीत की सामग्री संरचना और प्रस्तुति की शैली को हमेशा के लिए बदल दिया। 20वीं शताब्दी के शुरुआत में भारतीय संगीत क्षेत्र में कोलाहलपूर्ण परिवर्तन देखा गया। कला की पारम्परिक संरक्षिकाएँ, दक्षिण भारत में देवदासियों और उत्तर भारत में नाचने वाली लड़कियाँ और तवायफ़ें, जिन्होंने सदियों से कलाओं का पोषण किया था, वे अंग्रेज़ी सरकार के सदाचार के क़ानूनों तथा प्रबुद्ध और शिक्षित भारतीय अभिजात वर्ग की कुरीतियों का शिकार हो गयीं। इस पुस्तक में एलीन एंजेलिना योवार्ड की कहानी का उल्लेख किया गया है, जो जन्म से अर्मेनियाई क्रिश्चियन थीं और बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया। इसके बाद वे गौहर जान के नाम से प्रसिद्ध हुईं। उनका जीवन मिथकों, किंवदन्तियों और लोक कथाओं से भरपूर था, जिनमें से कुछ बातें अभिलिखित हैं, कुछ शंकायुक्त हैं। यह पुस्तक उस समय पर भी नज़र डालती है, जिस दौरान गौहर जीवित थीं और उत्कृष्ट संगीत का सृजन कर रही थीं। गौहर जान स्वाभाविक रूप से एक प्रतिभाशाली संगीतकार थीं, जिनके पास प्रदर्शनों का विस्तृत भण्डार था। भारत में रिकॉर्डिंग तकनीक के आगमन पर मिले अवसरों को अभिग्रहण करने वाली शुरुआती महिला कलाकारों में से वह एक थीं। 1902 में रिकॉर्ड की जाने वाली सबसे पहली भारतीय आवाज़ उन्हीं की थी और अपने जीवनकाल में उन्होंने लगभग 600 रिकॉर्ड्स बनाये। उनके संगीत के माध्यम से यहाँ हिन्दुस्तानी संगीत की विभिन्न शैलियों का विश्लेषण करने का प्रयास भी किया गया है, जिन्हें गौहर और उन जैसी गायिकाओं ने लोकप्रिय बनाया, जैसे ठुमरी, दादरा और ग़ज़ल। पुस्तक में भारत में रिकॉर्डिंग उद्योग के विकास और भारतीय संगीत, रंगमंच और सामाजिक जीवन पर इसके प्रभाव का भी संक्षिप्त वर्णन किया गया है।
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