Chaitanya Mahaprabhu

Hardbound
Hindi
9789326355155
1st
2017
64
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चैतन्य महाप्रभु - चैतन्य महाप्रभु भक्तिकाल के प्रमुख सन्तों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय सम्प्रदाय की आधार शिला रखी। इन्होंने भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में हिन्दू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया और जात-पाँत, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी। विलुप्त होते वृन्दावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अन्तिम भाग वहीं व्यतीत किया। चैतन्य को इनके अनुयायी कृष्ण का अवतार भी मानते रहे हैं। जब ये अपने पिता का श्राद्ध करने बिहार के गया नगर में गये, तब वहाँ इनकी मुलाक़ात ईश्वरपुरी नामक सन्त से हुई, उन्होंने चैतन्य महाप्रभु से 'कृष्ण-कृष्ण' रटने को कहा। तभी से इनका सारा जीवन बदल गया और ये हर समय भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने लगे। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति इनकी अनन्य निष्ठा व विश्वास के कारण इनके असंख्य अनुयायी हो गये। सर्वप्रथम नित्यानन्द प्रभु व अद्वैताचार्य महाराज इनके शिष्य बने। इन दोनों ने चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन को तीव्र गति प्रदान की। कृष्ण भक्त चैतन्य महाप्रभु के जीवन-कथा को लेखिका ने बहुत ही से विस्तार लिखा है।

प्रभाकिरन जैन (Prabhakiran Jain)

प्रभाकिरण जैन 30 अक्टूबर 1963 को हरबर्टपुर, देहरादून (उत्तराखंड) में जन्म ।शिक्षा : राजनीतिशास्त्र में एम.ए., डी.फिल. ।प्रकाशन : रंग-बिरंगे बैलून (शिशु गीत); वैशाली के महावीर (बाल काव्य हिन्दी, अँग्रे

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