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आइंस्टाइन जीवन भर वैज्ञानिक खोजों में मशगूल रहे । सापेक्षता का सिद्धान्त उनकी महत्त्वपूर्ण खोज है। यह सिद्धान्त काफी व्यापक है। सापेक्षता के विशिष्ट सिद्धान्त पर उन्होंने अपना प्रथम शोध-पत्र 1905 में उन दिनों लिखा था, जब वे बर्न में स्विस पेटेंअ दफ्तर में क्लर्क थे। इसी शोध-पत्र की दूसरी कड़ी में कुछ दिनों बाद उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष E=MC² प्रस्तुत किया था ।
सापेक्षता के तहत दूसरी खोज उनका सामान्य सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त पर उन्होंने 1907 से ही काम करना शुरू कर दिया था, जिसे 1916 में अन्तिम रूप दिया। इस सिद्धान्त के तहत उन्होंने प्रकाश पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव तथा सूर्य के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के कारण प्रकाश किरणों के घुमाव (विचलन) पर पड़ने वाले प्रभाव का सूक्ष्म अध्ययन किया। इसी के साथ उन्होंने सामान्य सापेक्षता का एक तीसरा सिद्धान्त 'एस्ट्रानॉमिकल इफेक्ट' भी प्रस्तुत किया। यह पुस्तक खासकर उन साधारण पाठकों के लिए लिखी गयी, जिनकी दिलचस्पी विशुद्ध विज्ञान की ओर भले ही कम हो, लेकिन एक महान् वैज्ञानिक को अपने जीवन-काल में किन-किन महत्त्वपूर्ण सामाजिक-ऐतिहासिक परिवर्तनों के दौर से गुजरना पड़ता था, यह जानने में जरूर दिलचस्पी है।
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