मदर टेरेसा -
मानव जाति के कल्याण के लिए इस धरती पर समय-समय पर कोई न कोई ऐसा व्यक्ति जन्म ज़रूर ले लेता है, जिसकी जीवन-कथा को पढ़कर आनेवाली पीढ़ी ख़ुद को बहुत ख़ुशनसीब समझने लगती है। मदर टेरेसा ऐसी ही शख़्सियत हैं, जिसे लेखक ने बड़े ही गहरे उतरकर अपने लेखन का सबब बनाया है। मदर टेरेसा विदेश में ज़रूर जनमी थीं, मगर वे छोटी ही उम्र में ईसाई धर्म में दीक्षित होकर भारत आयी थीं। यहाँ उन्होंने उन लोगों की सेवा करनी शुरू की, जो अत्यन्त दरिद्र थे और भयानक ग़रीबी में जी रहे थे। अनाथ बच्चों, निराश्रित महिलाओं और अशक्त बूढ़ों की सेवा करके उन्होंने 'सेवा भाव' का लोगों में उच्च भाव पैदा किया।
लेखक ने सम्पूर्ण जानकारी के साथ मदर टेरेसा के जीवन के बारे में लिखा है। साथ ही उनकी सादगीपूर्ण जीवन-शैली को बड़ी मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है। महान पुरुषों तथा विदुषी महिलाओं पर लिखना आसान नहीं होता, लेकिन यह लेखक की सोच और दृष्टि पर बहुत कुछ निर्भर करता है कि वह उनके चरित्र को किस तरह अभिव्यक्त करता है। इस मामले में महेश दर्पण बहुत सतर्क लेखक हैं कि वे धीरे-धीरे अपने मूल विषय पर आकर एक बड़े चरित्र को लोगों की सहज स्वीकार्य भाषा में व्यक्त करते चले जाते हैं। निश्चित ही यह किताब बच्चों के लिए बेहद पठनीय सिद्ध होगी।
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