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Kabir

Hardbound
Hindi
9789357754217
3rd
2024
64
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कबीर -

कबीर महान सन्त थे, जिन्होंने अपनी वाणी से पूरे हिन्दी साहित्य को प्रभावित किया। उनके बारे में कई तरह की किंवदन्तियाँ हैं, जिनके आधार पर उनका जीवन परिचय लिखा और पढ़ा जाता है। लेखक ने कबीर की इस जीवन-कथा में उन सभी स्थितियों और परिस्थितियों का ज़िक्र किया है, जिनकी वजह से कबीर को कवि के साथ सन्त और महात्मा कहा गया ।

कबीर उस समय पैदा हुए थे, जब यह देश धर्म की कट्टर जकड़बन्दी में था और जनता को कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। उन्होंने सभी धर्मावलम्बियों को यह बताया कि मनुष्यता ही सबसे बड़ा धर्म है। लेखक ने, इसलिए कबीर के विचार पक्ष पर पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत की है। कबीर के उन दोहों को भी इस पुस्तक में रखा गया है, जिनसे समाज को मार्गदर्शन मिलता है और इन्सान को जीवन की सच्चाई समझने में मदद मिलती है। उलटबांसियों को पढ़कर यह तो लगता है कि वे ईश्वर के निर्गुण स्वरूप को मानते थे, मगर इसके पीछे उनकी यह मंशा छिपी हुई है कि लोग अन्धविश्वास, धार्मिक कट्टरता को छोड़कर ईश्वर की वास्तविक छवि को समझें और यह जानें कि-

मोको कहाँ ढूँढ़े रे बन्दे मैं तो तेरे पास में।

कबीर के इस दर्शन ने इन्सान का आत्मविश्वास बढ़ाया है और ढकोसलों के पार जाकर आदमी के जीवन की असली मूरत दिखाई है।

कबीर समाज के कवि हैं, जीवन-धर्म के रचयिता हैं, यह किताब नयी पीढ़ी के मार्गदर्शन में निश्चित ही बहुत उपयोगी साबित होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।

लीलाधर मंडलोई (Leeladhar Mandloi)

लीलाधर मंडलोई  जन्म : मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा क़स्बे में 1953 में। समकालीन हिन्दी कविता के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में आठ कविता संग्रह और दो चयन प्रकाशित। सम-सामयिक सांस्कृतिक-साहित्यिक प

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विष्णु नागर (Vishnu Nagar )

विष्णु नागर जन्म 14 जून, 1950 । बचपन और छात्र जीवन शाजापुर (मध्य प्रदेश) में बीता। 1971 से दिल्ली में स्वतन्त्र पत्रकारिता। 1974 ये 1997 तक 'नवभारत टाइम्स' के मुम्बई और फिर दिल्ली संस्करण में विशेष संवाददा

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