Premchand Ki Bal Kahaniya Vol-3

Hardbound
Hindi
9789326355483
2nd
2019
3rd
64
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प्रेमचन्द की बाल कहानियाँ-3 - प्रेमचन्द अपने समाज के ऊँच-नीच, भेद-भाव, धाँधली, लोभ, ईर्ष्या, बैर आदि की भावना को गहरे तक जानते थे। इन तीनों कहानियों में लोगों के चरित्र और स्वभाव की बारीक पड़ताल की गयी है। समाज की इन बुराइयों पर नज़र रखना, उन्हें दूर करने के लिए समाज के सामने लाना और साहित्य में उसका वर्णन करते हुए, पाठक और विशेष तौर पर बच्चों को जाग्रत करना, लेखक का धर्म है।प्रेमचन्द ने इन तीनों कहानियों में अपने इसी धर्म का निर्वाह किया है।

लीलाधर मंडलोई (Leeladhar Mandloi)

लीलाधर मंडलोई  जन्म : मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा क़स्बे में 1953 में। समकालीन हिन्दी कविता के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में आठ कविता संग्रह और दो चयन प्रकाशित। सम-सामयिक सांस्कृतिक-साहित्यिक प

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मुंशी प्रेमचन्द (Munshi Premchand)

मुंशी प्रेमचन्द हिंदी के आधुनिक कथा शिल्पी कहे जाने वाले उर्फ धनपतराय का जन्म लमही के एक सामान्य परिवार में 31 जुलाई 1880 को हुआ था । उनके पिता का नाम अजायब राय और मां का नाम आनंदी देवी था । उनकी कल

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