Maanniya Sabhasado

Paperback
Hindi
9788126314461
4th
2007
104
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माननीय सभासदो! - व्यंग्य न तो मनोरंजन के लिए पढ़ा जाता है और न ही इस उद्देश्य से यह लिखा जाता है। हाँ, व्यंग्य में चुहलबाजी की चाशनी लिपटी हो तो बात दीगर है। वैसे सच कहें तो हमारे आसपास का कहीं कुछ भी तो व्यंग्य के चौखटे से बाहर नहीं है! 'माननीय सभासदो!' में प्रतिष्ठित नये व्यंग्यकार जवाहर चौधरी ने वर्तमान समाज और राजनीति के क्षेत्र में तेज़ी से गिर रहे मूल्यों की ओर इशारा करते हुए हमारी चेतना को झकझोरने का प्रयास किया है। तथाकथित सभ्य समाज एवं राजनीति की दुनिया में बढ़ रही अनेक प्रकार की विसंगतियों पर ये निबन्ध तीख़ी चोट करते हैं और सोचने-समझने की सिफ़ारिश भी करते हैं। जवाहर चौधरी की ये रचनाएँ आपको हँसने-मुसकराने की भी छूट देती हैं, मगर एक सीमा के बाद ये सबको सबसे आगाह भी करती हैं; शायद सबसे ज़्यादा आपको अपने-आप से भी ... प्रस्तुत है 'माननीय सभासदो!' का नया संस्करण।

जवाहर चौधरी (Jawahar Chowdhary)

जवाहर चौधरी - जन्म: 11 फ़रवरी, 1952, इन्दौर। शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी. (समाजशास्त्र)। लेखन: कुछ कविताओं और यदाकदा लेखों के बाद मुख्य रूप से व्यंग्य लेखन ही देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन। कार

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