Ek Adhoori Prem Kahani Ka Dukkhant

Hardbound
Hindi
9788126320615
2nd
2019
120
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एक अधूरी प्रेम कहानी का दुःखान्त - व्यंग्य का मूलतः विसंगति और विडम्बना के गहरे बोध से जन्म होता है। व्यंग्यकार अपने आसपास की घटनाओं पर पैनी निगाह रखता है और उनका सारांश मन में संचित करता रहता है। जब किसी घटना का सूत्र किसी व्यापक जीवनोद्देश्य से जुड़ता है तब रचना में व्यंग्य का प्रस्थान बनता है। 'एक अधूरी प्रेम कहानी का दुःखान्त' में कैलाश मंडलेकर के व्यंग्य-आलेख किसी-न-किसी परिवेशगत विचित्रता को व्यक्त करते हैं। उनके व्यंग्य 'हिन्दी व्यंग्य परम्परा' से लाभ उठाते हुए अपनी ख़ासियत विकसित करते हैं। कुछ विषय इस क्षेत्र में सदाबहार माने जाते हैं जैसे—साहित्य, राजनीति, ससुराल, प्रेम आदि। इन सदाबहार विषयों पर लिखते हुए कैलाश मंडलेकर अपने अनुभवों का छौंक भी लगाते चलते हैं। उदाहरणार्थ, 'वरिष्ठ साहित्यकार : एक लघु शोध' में उनके ये वाक्य : 'वरिष्ठ साहित्यकार का एकान्त बहुत भयावह होता है। बात-बात पर उपदेश देने वाली आदत के कारण लोग प्रायः उससे बिदकते हैं। वरिष्ठ साहित्यकार अमूमन अकेला ही रहता है तथा घरेलू क़िस्म के अकेलेपन को पत्नी से लड़ते हुए काटता है।' प्रस्तुत व्यंग्य-संग्रह अपनी चुटीली भाषा और आत्मीय शैली के कारण पाठकों की सहृदयता प्राप्त करेगा, ऐसा विश्वास है।

कैलाश मंडलेकर (Kailash Mandlekar )

कैलाश मंडलेकर - जन्म: 9 सितम्बर, 1956, हरदा (म.प्र.)। शिक्षा: सागर विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर। लेखन-प्रकाशन: धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, वागर्थ, हंस, कथादेश, वसुधा, नया ज्ञानोदय, अहा

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