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जैसे उनके दिन फिरे

व्यंग
Hardbound
Hindi
9789355183699
20th
2022
112
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जैसे उनके दिन फिरे - 'जैसे उनके दिन फिरे' की ये कहानियाँ—हरिशंकर परसाई की मात्र हास्य कहानियाँ नहीं हैं—यों हँसी इन्हें पढ़ते-पढ़ते अवश्य आ जायेगी, पर पीछे जो मन में बचेगा, वह गुदगुदी नहीं, चुभन होगी। मनोरंजन प्रासंगिक है, वह लेखक का उद्देश्य नहीं। उद्देश्य है—युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अन्तर्विरोधों, विकृतियों और मिथ्याचारों का उद्घाटन। परसाई जी की इन कहानियों में हँसी से बढ़कर जीवन की तीखी आलोचना है। चेतना को झकझोर देनेवाला व्यंग्य और मन को तिलमिला देनेवाली व्यंजना तो पाठक को इन कहानियों में मिलेगी ही, साथ ही वे सब दृश्य, चेहरे और हालात, जो बहुत पास होकर भी अनदेखे रह जाते हैं, उनके सामने प्रकट हो उठेंगे। प्रस्तुत है पुस्तक का नया संस्करण।

हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai)

हरिशंकर परसाईजन्म: 22 अगस्त, 1924। जन्म-स्थान: जमानी गाँव, जिला होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)। मध्यवित्त परिवार। दो भाई, दो बहनें। स्वयं अविवाहित रहे। मैट्रिक नहीं हुए थे कि माँ की मृत्यु हो गई और लकड़ी के

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