मण्टो की यह विशेषता है कि वह अपनी कहानियों में अपने निजी दृष्टिकोण और विचारधारा के साथ, दख़लन्दाज़ी की हद तक, पूरे-का- पूरा मौजूद रहता है। अपने पात्रों की खुशियों के साथ, वह उनकी तकलीफ़ें और दुख भी सहता है। यही वजह है कि उसकी कहानियों में संस्मरण का हल्का-सा रंग हमेशा झलकता है- किस्सागोई का वह स्पर्श, जो किसी बयान को यादगार बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है।
लेकिन यह किस्सागोई, महज़ दिलचस्पी पैदा करने के लिए, सिर्फ़ चन्द गाँठ के पूरे और दिमाग़ से ख़ाली ‘साहित्य प्रेमियों' का मनोरंजन करने के लिए नहीं है। किस्सागोई का यह अन्दाज़ एक ओर तो आम आदमी को इस बात का एहसास कराता है कि मण्टो उसके साथ हैं, उसके बीच है, वे सारे दुख-सुख महसूस कर रहा है, जो आम आदमी की नियति है, दूसरी ओर यह भी बताता है- ये कहानियाँ मण्टो ने इसलिए लिखी हैं कि पाठक यह जाने- उनकी नियति क्यों ऐसी है ताकि वे अपनी नियति को बदलने के लिए मुनासिब कार्रवाई कर सकें।
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