Rajo Aur Miss Phariya (Manto Ab Tak-12)

Paperback
Hindi
9789350722732
2nd
2018
90
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आम ख़याल में मण्टो की शोहरत हालाँकि उन कहानियों की वजह से है जो उसने बँटवारे और फ़िरक़ावाराना टकराव पर लिखी हैं या फिर समाज के गर्हित पक्ष- • वेश्याओं, भड़वों और दूसरे निचले तबक़ों के लोगों पर, लेकिन मण्टो की कहानियों की एक बहुत बड़ी तादाद ऐसी कहानियों की भी है जिनमें उसने प्रेम और घर-गृहस्थी के दूसरे पहलुओं को चित्रित किया है या फिर ऐसे सहज-सरल लोगों को उकेरा है जो सामान्यतः किसी कहानी के पात्र नहीं जान पड़ते। यह मण्टो की ख़ूबी है कि फ़िरक़ापरस्ती और सामाजिक बुराइयों के सिलसिले में नश्तर की-सी धार से काम लेने वाला मण्टो ऐसे पात्रों और प्रसंगों की तस्वीरकशी क़लम के बेहद कोमल स्पर्शो से करता है।

सुप्रसिद्ध रूसी कथाकार चेखव की तरह मण्टो ने भी कहानियाँ ही लिखी हैं, कभी उपन्यास पर हाथ नहीं आज़माया, लेकिन कुछ रचनाएँ दोनों ही कहानीकारों में ऐसी हैं जो लम्बी कहानियों या कहा जाए लघु उपन्यासों की सरहदें छूती जान पड़ती हैं। चेखव के लघु उपन्यास 'माई लाइफ़' की तरह मण्टो की रचना 'बग़ैर उन्वान के' भी एक लघु उपन्यास ही है, जिसे यहाँ 'राजो और मिस फ़ारिया' के नाम से दिया जा रहा है। इसके साथ ही दो कहानियाँ 'मेरा और उसका इन्तक़ाम' और 'बेगो' भी इस संग्रह में शामिल हैं।

सआदत हसन मण्टो (Saadat Hasan Manto)

मण्टो फ़रिश्ता नहीं, इंसान है। इसलिए उसके चरित्र गुनाह करते हैं। दंगे करते हैं। न उसे किसी चरित्र से प्यार है न हमदर्दी। मण्टो न पैग़म्बर है न उपदेशक । उसका जन्म ही कहानी कहने के लिए हुआ था। इसलि

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