राजनीतिक समझ हो या आक्रोश, दर्द हो अथवा मानवीय करुणा- जो कुछ भी मण्टो ने अपनी कहानियों में व्यक्त किया है, वह सियासत-भरे तरीके से नहीं किया, वरन एक खीझ भरी स्पष्टता से, एक झुंझलाहट भरी बेबाकी से, जो अन्धे को सूरदास कह कर अपना मतलब सीधा करने के फ़िराक में नहीं रहती वरन, यह सीधी, बेलाग स्पष्टता, मण्टो की कहानियों का यह ख़ास गुण है, जिसकी वजह से पाठक मण्टो की नीयत में कभी सन्देह नहीं कर सकता । मण्टो में कहीं भी अस्पष्टता नहीं है, क्योंकि उसे यकीन है कि उसे कभी बयान बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यही वजह है कि आज भी मण्टो की कहानियाँ पूरे तौर पर प्रासंगिक हैं ।
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