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श्रीविष्णुसहस्त्रनाम खण्ड – 1 - महाभारत में इसका उल्लेख मिलता है कि श्रीविष्णुसहस्रनाम, भगवान के अनन्त नामों में से अत्यन्त मधुर एक हज़ार नामों का परम पवित्र संकलन है। भगवान के सभी नामों में से प्रत्येक नाम की महिमा, लीला, कथा और फल अनन्त हैं। अध्यात्म और भक्तिभाव से परिपूर्ण इस ग्रन्थ को श्रीमती उषा मुछाल जी ने अपने गुरु श्री जगदीशचन्द्रजी जोशी के सानिध्य में दस वर्ष भगवतगीता एवम् तत्त्वज्ञान का अध्ययन करने के पश्चात लिखा है। इस ग्रन्थ में सरल और सहज भाषा में श्रीविष्णुसहस्र नाम के प्रत्येक नाम की व्याख्या की गयी है। प्रस्तुत ग्रन्थ में रुचिरा मणियार द्वारा प्रत्येक नाम की व्याख्या हेतु चित्रकारी की गयी है जिसके कारण पुस्तक में सजीवता का भाव लक्षित होता है। प्रथम खण्ड में श्लोक 14 से श्लोक 48 तक की अध्यात्मिक यात्रा के साथ पाठकों को नाम 1 से नाम 326 तक की जानकारी प्राप्त होगी। यह पुस्तक हस्तलिखित शैली में प्रकाशित की गयी है जो पाठकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है।
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