सत्य का दर्शन बीज तत्त्व में सिमटा है, जिसका अनन्त नाम, असीम भाव, अज्ञात संसार, अपरिमित ज्ञान और अविनाशी स्वरूप है। उस बीज के मिटने-जानने में परमात्मा का स्वाद है। उस जीवन और मिटने के बीच के अन्तराल के लिए हमें जगना होगा।
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