"अंग्रेज़ कितना ही उलटा-सीधा प्रचार करें लेकिन जिन्हें भगवान ने विचार शक्ति दी है उन सभी भारतीयों को मालूम हो जाना चाहिए कि इस लम्बे-चौड़े संसार में हिन्दुस्तान का एक और केवल एक ही शत्रु है और वह है-ब्रिटिश साम्राज्यवाद, जो सौ वर्षों से उसका शोषण कर रहा है और जिसने हमारी जननी जन्मभूमि को खून चूस चूसकर निर्जीव कर दिया है।" "धुरी राष्ट्रों की रक्षा के लिए मुझे वकालत नहीं करना है। यह मेरा काम नहीं। मेरा सम्बन्ध हिन्दुस्तान से है।"
"ब्रिटिश साम्राज्यवाद की जब पराजय होगी-तब ही हिन्दुस्तान को आज़ादी मिलेगी और यदि ब्रिटिश साम्राज्यवाद किसी तरह इस युद्ध में विजयी हो गया तो हिन्दुस्तान की गुलामी सदा के लिए अखण्डित ही रहेगी। हिन्दुस्तान के सामने इस समय अब दो ही रास्ते खुले हैं-आज़ादी या गुलामी और हिन्दुस्तान को अपनी पसन्दगी का फैसला कर ही लेना चाहिए।"
"ब्रिटेन के किराये के टट्टू-झूठे प्रचारक मुझे धुरी राष्ट्रों का एजेंट बता रहे हैं लेकिन अपने देशवासियों के सामने मुझे अपनी सच्चाई और ईमानदारी का प्रमाणपत्र पेश करने की कोई ज़रूरत नहीं। सारे जीवन भर मैं बरतानिया की सल्तनत के खिलाफ लगातार अडिग संघर्ष लेकर जूझता रहा हूँ। यही मेरी ईमानदारी का सबसे बड़ा प्रमाणपत्र है। मैं मेरे हिन्दुस्तान काआजीवन एक विनम्र सेवक रहा हूँ-और मृत्युपर्यन्त यही रहूँगा। चिन्ता नहीं संसार के किसी कोने में मैं रहूँ लेकिन मेरी भक्ति और वफादारी आज तक मेरे मुल्क मेरे हिन्दुस्तान के लिए रही है और आगे भी केवल मेरे हिन्दुस्तान के लिए ही रहेगी।"
"युद्ध के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों का यदि आप तटस्थ रह कर निष्पक्ष अध्ययन करें तो आप भी उसी निर्णय पर पहुँचेंगे जिस पर मैं पहुँचा हूँ। ब्रिटिश साम्राज्य का अन्त अब बहुत निकट है। और संसार की कोई ताकत अब उसे रोक नहीं सकती... हिन्द महासागर की किलेबन्दी ब्रिटिश नौसेना के हाथों से बहुत दिन हुए निकल चुकी है। मांडले का पतन भी हो 'चुका की धरती पर से मित्र राष्ट्रों की फौजें करीब-करीब खदेड़ी जा चुकी हैं।"
"भारत माता के नौ निहालो ! ब्रिटिश साम्राज्य के पतन में हिन्दुस्तान की आज़ादी का स्वर्णोदय झाँक रहा है। मत भूलना कि हिन्दुस्तान ने अपनी स्वाधीनता का पहला संग्राम 1857 में शुरू किया था। मई 1942 में आज़ादी का अन्तिम जंग आरम्भ हो चुका है। कमर कस लो! आज़ाद होने की घड़ी एक हाथ भी दूर नहीं है। "
"आज़ाद हिन्द हमें युद्ध और तलवार के बल पर हिन्दुस्तान की आज़ादी के लिए लड़कर प्राप्त करना होगा और तब अपने मुल्क का भावी विधान बिना किसी दूसरी सत्ता के हस्तक्षेप के हम पूरी स्वतंत्रता से बनायेंगे। आज़ाद हिन्द की नूतन समाज रचना न्याय, समानता और भ्रातृभाव के सनातन सिद्धान्तों के आधार पर स्थिर होगी।"
- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का रंगून रेडियो से प्रसारित भाषण
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