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Masaavaat Ki Jang

Ali Anwar Author
Paperback
Hindi
9789387024953
1st
2001
266
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₹100.00

भारत में सामाजिक न्याय की अवधारणा अब भी कितनी अधूरी है, यह जानने के लिए इस शोध कृति को पढ़ना ज़रूरी है। आम तौर पर माना जाता है कि जाति व्यवस्था हिन्दू समाज में ही है और मुसलमान इस सामाजिक बुराई से मुक्त हैं। मंडल आयोग ने इस मिथक को पहली बार तोड़ा - पिछड़ी जातियों की उसकी सूची में मुसलमान भी थे। पिछड़ी जातियों के इन मुसलमानों को तो आरक्षण मिल गया लेकिन एक और मिथक टूटने की प्रतीक्षा कर रहा था जिसके अनुसार दलित वर्ग सिर्फ हिन्दू समाज का कलंक है। दरअसल हुआ यह है कि भारत में आकर इस्लाम ने भी अपना भारतीयकरण कर लिया, जिसके नतीजे में उसने हिन्दू समाज की अनेक बुराइयाँ अपना लीं। अन्यथा यहाँ के मुस्लिम समाज में हलालखोर, लालनेगी, भटियारा, गोरकन, बक्खो, मीरशिकार, चिक, रंगरेज नट आदि दलित जातियाँ न होतीं। इनका दोहरा अभिशाप यह है कि हिन्दू इन्हें मुसलमान मानते हैं और इनके साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं; दूसरी तरफ मुसलमान इन्हें अपने सामाजिक सोपानक्रम में सबसे नीचे रखते हैं और इनके साथ दलितों जैसा सलूक करते हैं। भारतीय संविधान ने भी इनके साथ कम मज़ाक नहीं किया है। अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है, पर इन जातियों की सूची में दलित मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं है। भारत के पहले प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने बिहार प्रान्तीय जमावत-उल-मोमिनीन के अब्दुल कयूम अंसारी को सम्बोधित 14 नवम्बर, 1939 के अपने पत्र में स्वीकार किया था कि उच्च वर्ग के मुसलमानों ने सभी सुविधाओं पर एकाधिकार स्थापित कर लिया है, अतः मोमिनों के विकास के लिए विशेष प्रयास किये जाने चाहिए, जिनमें सीटों का आरक्षण भी शामिल है। लेकिन आज़ादी के पाँच दशक बाद भी दलित मुसलमानों को न्याय नहीं मिल पाया है वास्तविकता तो यह है कि उनके परम्परागत पेशे उजड़ जाने के कारण उनकी हालत और बदतर ही हुई है। इसी से उनकी राजनीति भी जन्म ले रही है : वे समझ गये थे कि न दलित संगठन उन्हें अपना सकेंगे न ऊँची जातियों के मुसलमान उन्हें पूरे धार्मिक और सामाजिक अधिकार दे सकते हैं। शोषित, दलित और वंचित वर्गों के इस उषा काल में अली अनवर का यह मूल्यवान अध्ययन भारत की राजनीतिक संरचना के बारे में नयी अन्तर्दृष्टि देता है और जाति तथा वर्ग की विषमताओं से संघर्ष की रणनीति में कुछ ज़रूरी संशोधन प्रस्तावित करता है ।

- राजकिशोर

अली अनवर (Ali Anwar )

अली अनवर पत्रकारिता के क्षेत्र में अली अनवर के नाम से मशहूर । वास्तविक नाम अनवर अली। करखनिया मज़दूर जनाब अब्दुल मन्नान अंसारी के ज्येष्ठ पुत्र श्री अनवर अली का जन्म, 16 जनवरी 1954 को पुराने शाहा

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