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अली अनवर

अली अनवर

पत्रकारिता के क्षेत्र में अली अनवर के नाम से मशहूर । वास्तविक नाम अनवर अली। करखनिया मज़दूर जनाब अब्दुल मन्नान अंसारी के ज्येष्ठ पुत्र श्री अनवर अली का जन्म, 16 जनवरी 1954 को पुराने शाहाबाद ज़िला (अब बक्सर जिला) के डुमरांव में हुआ। 1967 में 'पढ़ाई नहीं तो फीस नहीं' शीर्षक परचा छपवाने के कारण राज हाईस्कूल डुमरांव से निष्कासन । यहीं से निजी प्रबन्धन या यूँ कहें की डुमरांव राज के सामन्ती धाक के ख़िलाफ छात्र आन्दोलन की रहनुमाई। आगे चलकर वामपन्थी राजनीति की शुरुआत। घर की माली हालत खराब। 1974 में सरकारी नौकरी। इसी दौर में पत्रकारिता का चस्का। जनशक्ति दैनिक, ब्लिट्स, रविवार साप्ताहिक के लिए लेखन। 1975 में मगध विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री। वकील बनने के लिए महाराजा कॉलेज आरा के नाइट क्लास में दाखिला । एक साथ सियासत, नौकरी, सहाफत, पढ़ाई के चलते कई तरह की परेशानियाँ-जेल यात्राएँ और मुकदमेबाज़ी। लॉ की पढ़ाई छूटी।

1984 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा । राजधानी पटना आकर 'जनशक्ति' के माध्यम से मिशन पत्रकारिता की शुरुआत । जनशक्ति बन्द हो जाने पर नवभारत टाइम्स पटना, जनसत्ता दिल्ली तथा स्वतन्त्र भारत लखनऊ के लिए पत्रकारिता। मुख्यधारा की पत्रकारिता के माध्यम से भी साम्प्रदायिक और सामन्ती मानसिकता विरोधी स्वर, दबे-कुचलों की आवाज़ को प्रमुखता। 1996 में के.के. बिड़ला फाउण्डेशन फेलोशिप । सितम्बर 2000 में बिहार सरकार द्वारा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य मनोनीत । 'मसावात की जंग' पहली पुस्तक ।