Pachas Kavitayen Nai Sadi Ke Liye Chayan : S.H. Vatsyayan 'Ajneya'

Paperback
Hindi
9789350007259
2nd
2019
104
If You are Pathak Manch Member ?


यह संचयन करते हुए अपनी रुचि के अलावा अन्य का भी ध्यान रखा गया है। कोशिश यही रही है कि अज्ञेय के समूचे काव्य-संसार की सर्जनात्मकता से अन्तरंग साक्षात्कार किया जा सके।

-----------

एक दिन देवदारु-वन बीच छनी हुई
किरणों के जाल में से साथ तेरे घूमा था।
फेनिल प्रपात पर छाये इन्द्र-धनु की
फुहार तले मोर-सा प्रमत्त-मन झूमा था

बालुका में अँकी-सी रहस्यमयी वीर-बहू
पूछती है रव-हीन मखमली स्वर से :
याद है क्या, ओट में बुरूँस की प्रथम बार
धन मेरे, मैंने जब ओठ तेरा चूमा था ?

कृष्णदत्त पालीवाल (Krishnadatta Paliwal )

कृष्णदत्त पालीवाल जन्म : 4 मार्च, 1948 को सिकन्दरपुर, ज़िला फ़र्रुख़ाबाद (उ.प्र.) में। प्रकाशन : भवानी प्रसाद मिश्र का काव्य-संसार, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का चिन्तन जगत्, मैथिलीशरण गुप्त : प्रासंग

show more details..

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Agyeya')

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (7 मार्च 1911-4 अप्रैल 1987) -मानव मुक्ति एवं स्वाधीन चिन्तन के अग्रणी कवि-कथाकार-आलोचक-सम्पादक ।कुशीनगर, देवरिया (उ.प्र.) में एक पुरातत्त्व उत्खनन शिविर में ज

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter