Hindustani Bhasha Aur Sahitya : 1850-1860

Hardbound
Hindi
9789390678532
1st
2021
212
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सन् 1850 से 1860 का दशक हिन्दुस्तान के बड़े


हिस्से में भारी उथल-पुथल का दौर था। 1857 का विद्रोह भारतीयों के मन में आज़ादी की पहली लड़ाई और अंग्रेज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ पहली बड़ी चोट के रूप में दर्ज है। इसी दौरान सुदूर पेरिस के कोलेज द फ्रॉन्स (College de France) में एक प्राध्यापक साल-दर-साल अपने विद्यार्थियों के लिए हिन्दुस्तानी भाषा के साहित्य और अन्य प्रकाशनों का बेहद विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता रहता है। गार्सा द तासी के व्याख्यान - हिन्दी में पहली दफ़ा अनूदित - -भारत के इतिहास के इस बेहद अहम दौर का विहंगम इतिवृत्त हैं। गास द तासी को अक्सर हिन्दुस्तानी या हिन्दी-उर्दू भाषा के पहले इतिहासकार के रूप में पहचाना जाता है। 1857 के विद्रोह की विफलता के बाद अंग्रेज़ों ने जो दमन चक्र चलाया उसने हिन्दुस्तान को भौतिक ही नहीं बल्कि भारी सांस्कृतिक क्षति भी पहुँचाई। तासी के व्याख्यान हमारे लिए उस सांस्कृतिक इतिहास को पुनर्जीवित करते हैं जो विद्रोह की विफलता के बाद के विध्वंस की वजह से हाशिये पर चला गया। यह पुस्तक इस विशिष्ट फ्रांसीसी विद्वान के दशक भर के व्याख्यानों का संकलन है जो कि भारतीय इतिहास और हिन्दी-उर्दू भाषाओं में रुचि रखने वालों को उस अद्वितीय दौर में हिन्दुस्तानी भाषा- साहित्य की एक मुकम्मल तस्वीर प्रस्तुत करेगी।

किशोर गौरव (Kishor Gaurav)

किशोर गौरव एक स्वतन्त्र शोधकर्ता और अनुवादक हैं। इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली के सेंटर फॉर फ्रेंच एंड फ्रैंकोफ़ोन स्टडीज़ से 2018 में पश्चिमी भारतीय महासागर के फ्रेंच औ

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गार्सां द तासी (Garcin De Tassy)

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