Hindi Bhasha Ki Sanrachna

Hardbound
Hindi
9789350008591
3rd
2018
248
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हिन्दी भाषा और नागरी लिपि की संरचना पर फुटकर रूप से तो कार्य हुए हैं, किन्तु सभी बातों को समेटते हुए यह पुस्तक प्रथम प्रयास है। पहले अध्याय का सम्बन्ध ध्वनि-संरचना से है, जिसमें हिन्दी ध्वनियों से सम्बद्ध मुख्य सभी समस्याएँ ले ली गयी हैं; साथ ही हिन्दी अनुतान का आरेखों की सहायता से विश्लेषण किया गया है। दूसरा अध्याय शब्द-संरचना का है। इसमें समासों के अध्ययन को परम्परागत ढंग से समेटने के साथ-साथ, नये ढंग से भी उनके अध्ययन का प्रयास है। तीसरा अध्याय रूप-रचना का है, जिसमें संज्ञा और विशेषण के अपवादों को पहली बार पूरे विस्तार से लिया गया है; साथ ही हिन्दी के संख्यावाचक विशेषणों के रूपिमिक विश्लेषण का भी यहाँ पहला ही प्रयास है। अगले दो अध्यायों का सम्बन्ध वाक्य तथा अर्थ-संरचना से है। इनमें भी कई बातें नयी हैं। अन्तिम अध्याय नागरी लिपि के लेखिमिक विश्लेषण का है, जो पूर्णतः प्रथम प्रयास है।

पुस्तक में संरचना के विश्लेषण का मूल आधार संरचनात्मक पद्धति है। रूपान्तरक प्रजानक व्याकरण के कुछ तत्त्वों को अवश्य लिया गया है किन्तु लेखन पद्धति में प्रायः इसका प्रयोग नहीं किया गया है। वस्तुतः अनेक अधिसंख्य पाठकों को दृष्टि में रखते हुए ऐसा करना अनिवार्य जान पड़ा क्योंकि उनकी पहुँच उस पद्धति तक अभी प्रायः नहीं के बराबर है। यह पुस्तक लोकप्रिय होगी ऐसी हमें उम्मीद है।

भोलानाथ तिवारी (Bholanath Tiwari )

भोलानाथ तिवारी (4 नवम्बर, 1923-25 अक्टूबर, 1989)गाजीपुर (उ.प्र.) के एक अनाम ग्रामीण परिवार में जन्मे डॉ. भोलानाथ तिवारी का जीवन बहुआयामी संघर्ष की अनवरत यात्रा थी, जो अपने सामर्थ्य की चरम सार्थकता तक पह

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