गोवा की मिट्टी की ख़ुशबू लेकर आनेवाली ये कहानियाँ गोवा की साझी संस्कृति से पाठक का परिचय कराती हैं। कहानीकार की मानवीय एवं प्रगतिशील दृष्टि इन कहानियों का प्राण तत्त्व है। विषय की आवश्यकता के अनुसार इनका कहानी शिल्प आकार ग्रहण करता है। अपने और आस-पास के जीवन से प्रेरणा लेते हुए दामोदर मावजो गोवा के आम आदमी के जीवन-संघर्ष एवं सपनों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ यहाँ प्रस्तुत करते हैं।
मनुष्य मन की गहराई से जांच-पड़ताल करती हुई इन कहानियों में कभी कहानीकार पाप और पुण्य की सीमा पर खड़े होकर लिए गये निर्णय का, प्रकृति और मनुष्य के बीच के सम्बन्ध का मार्मिक चित्रण करता है तो कभी स्त्री-पुरुष सम्बन्ध की बारीकियों को, आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे आम आदमी की जद्दोजहद को बड़े प्रभावी ढंग से हमारे समक्ष रखता है। किसान, पादरी, चपरासी, ड्राइवर, बेकार, चोर, लेखक, डॉक्टर, अमीर, गरीब, कामकाजी स्त्री, मां, पिता, पति, पत्नी आदि ही नहीं बल्कि पेड़, पशु, पक्षी, साँप, कुत्ता भी उनके कहानी -संसार का विश्वसनीय हिस्सा बनकर आते हैं।
एक ओर विदारक यथार्थ को दिखाते हुए दूसरी और उनकी कहानियाँ असहिष्णु एवं उपभोक्तावादी समय में मानवीय मूल्यों में गहरी आस्था एवं सकारात्मक दृष्टि को रेखांकित करती हैं।
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